स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़

आइकन

सलीम खान का एक छोटा सा प्रयास

>सूअर का माँस खाना क्यूँ मना है? Why Pork is prohibited?

>

(आओ उस बात की तरफ जो हममे और तुममे यकसां (समान) हैं)

इस बार थोडा अलग मगर वास्तविकता के बेहद करीब, यह लेख आप ज़रूर पढ़े, मेरा निवेदन है कि आप ज़रूर पढें और पढने से ज्यादा समझें क्यूँकि केवल पढने से ज़रूरी है उसको पढ़ कर समझना | लेकिन होता क्या है कुछ लोग अगर उनके मतलब का लेख नहीं होता है तो उसे या तो पढ़ते ही नहीं हैं और अगर पढ़ते भी हैं तो बिना जाने बूझे अनाप शनाप कमेंट्स कर देते हैं | उदहारण स्वरुप अगर किसी ने लिखा कि मांसाहार खाना जायज़ है| तो उसके फलस्वरूप उस विषय के विरोध में बहुत कुछ अनाप शनाप बातें लिख डालते है | अपनी बातें बेतुके तर्कों से भर कर सिद्ध कर देतें हैं, मगर वहीँ कुछ लोग अपनी बात सही ढंग से लिखते हैं | मैं मानता हूँ कि मुझे अभी पूर्ण जानकारी हर एक विषय में नहीं है और मैं अभी लेखन में और ब्लॉग में नया और शिशु मात्र हूँ, मगर मुझे इतना पता है कि मैं जो लिखता हूँ वो सत्य है ! अब आप ज़रूर उद्वेलित होंगे कि वाह सलीम बाबू ! आप जो भी लिखते हैं वो सत्य है और बाकी सब झूठ| तो जनाब मेरा हमेशा की तरह एक ही जवाब मैं जो भी लिखता हूँ वो इसलिए सत्य है क्यूंकि मैं केवल वेदों, पुराण, भविष्य पुराण और कुरआन, हदीश और बाइबल आदि में दिए गए विषयों की व्याख्या करता हूँ.


ख़ैर ! मैं बात कर रहा था सूअर का माँस खाना क्यूँ मना है?

मैं इस विषय पर बिन्दुवार आपको सम्बंधित धर्म ग्रन्थों का हवाला देते हुए समझाने का प्रयास करूँगा कि सूअर का माँस खाना क्यूँ हराम (निषेध) है?

कुरआन में सूअर का माँस का निषेध :

हम सबको पता है कि सूअर का माँस मुख्य रूप से इस्लाम में बिल्कुल ही मना (हराम, निषेध) है | कुरआन में कम से कम चार जगहों पर सूअर के माँस के प्रयोग को हराम और निषेध ठहराया गया है | हवाले के लिए देखें कुरआन की आयतें 2:173, 5:3, 6:145 & 16:115

पवित्र कुरआन की निम्न आयत इस बात को स्पष्ट करने को काफी है सूअर का माँस क्यूँ हराम किया गया है:

तुम्हारे लिए (खाना) हराम (निषेध) किया गया मुर्दार, खून, सूअर का माँस और वह खाना जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो ” – कुरआन 5:3

बाइबल में सूअर का माँस का निषेध:

ईसाईयों को यह बात उनके धार्मिक ग्रन्थ के हवाले से समझाई जा सकती है कि सूअर माँस हराम है | बाइबल में सूअर के माँस के निषेध का उल्लेख लैव्य व्यवस्था (Book of Leviticus) में हुआ है-

सूअर जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता है, परन्तु पागुर नहीं करता इसलिए वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है” “इनके माँस में से कुछ ना खाना और उनकी लोथ को छूना भी नहीं, ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं” -लैव्य व्यवस्था (11/7-8)

इसी प्रकार बाइबल के व्यवस्था विवरण (Book of Deuteronomy) में भी सूअर के माँस के निषेध का उल्लेख किया गया है-

फिर सूअर जो चिरे खुर का होता है, परन्तु पागुर नहीं करता, इस कारण वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है| तुम ना तो इनका माँस खाना और ना ही इनकी लोथ को छूना” – व्यवस्था विवरण (14/8)

सूअर का माँस बहुत से रोगों का कारण है:

ईसाईयों के अलावा जो अन्य गैर-मुस्लिम, हिन्दू या नास्तिक लोग है वे सूअर के माँस के हराम होने के सम्बन्ध में बुद्धि, तर्क और विज्ञानं के हवालों से ही संतुष्ट हो सकते हैं. सूअर के माँस से कम से कम सत्तर विभिन्न रोग जन्म लेते हैं. किसी व्यक्ति के शरीर में विभिन्न प्रकार के कीड़े (Helminthes) हो सकते हैं, जैसे गोलाकार कीड़े, नुकीले कीड़े, फीता क्रीमी आदि. सबसे ज्यादा घातक कीड़ा Taenia Solium है जिसे आम लोग फीताकार कीड़ा (Tapworm) कहते हैं. यह कीड़ा बहुत लम्बा होता है और आंतों में रहता है| इसके अंडे खून में सम्मिलित होकर शरीर के लगभग सभी अंगों तक पहुँच जाते हैं. अगर यह कीड़ा दिमाग में चला गया तो इन्सान की स्मरणशक्ति ख़त्म हो जाती है. अगर वह दिल में प्रवेश कर जाये तो इन्सान की ह्रदय गति रुक जाने का ख़तरा हो जाता है. अगर यह कीड़ा आँखों में पहुँच जाये तो इन्सान की देखने की क्षमता समाप्त कर देता है| अगर यह जिगर में में पहुँच जाये तो बहुत भारी क्षति पहुँचाता है. इस प्रकार यह कीड़ा शरीर के अंगों को क्षति पहुँचाने की क्षमता रखता है| एक दूसरा कीड़ा Trichura Tichurasis है.

सूअर के माँस के बारे में यह भ्रम है कि अगर उसे अच्छी तरह पका लिया जाये उसके भीतर पनप रहे उपरोक्त कीडों के अंडे नष्ट हो जाते हैं| अमेरिका में किये गए एक चिकित्सीय शोध में यह बात सामने आयी है कि चौबीस व्यक्तियों में से जो लोग Trichura Tichurasis के शिकार थे, उनमें से 22 लोगों ने सूअर के माँस को अच्छी तरह से पकाया था | इससे मालूम हुआ कि सामान्य ताप में सूअर का माँस पकाने से भी यह घातक अंडे समाप्त नहीं होते ना ही नष्ट हो पाते हैं.

सूअर के माँस में मोटापा पैदा करने वाले वाले तत्व पाए जाते हैं:

सूअर के माँस में पुट्ठों को मज़बूत करने वाले तत्व बहुत कम पाए जाते हैं, इसके विपरीत मोटापे को पैदा करने वाले तत्व बहुत ज्यादा पाए जातें हैं | मोटापा पैदा करने वाले ये तत्व खून की नाणीयों में दाखिल हो जाते हैं और हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) और हार्ट अटैक (दिल के दौरे) का कारण बनते हैं| इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि पचास प्रतिशत से अधिक अमेरिकी लोग हाईपरटेंशन (अत्यंत मानसिक तनाव) के शिकार हैं और इसका मुख्य कारण है कि यह लोग सूअर का माँस प्रयोग करते हैं.

कुछ लोग यह तर्क प्रस्तुत करते है कि सूअर का पालन पोषण अत्यंत साफ़ सुथरे ढंग से और स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए अनुकूल माहौल में किया जाता है| यह बात ठीक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनुकूल और स्वच्छ वातावरण में सूअरों को एक साथ उनके बाड़े में रखा जाता है| आप चाहे उन्हें स्वच्छ रखने की कितनी भी कोशिश करें परन्तु वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक रूप से उनके अन्दर गन्दगी पसंदी मौजूद रहती है| इसलिए वे अपने शरीर और अन्य सूअरों के शरीर से निकली गन्दगी का सेवन करने से भी नहीं चूकते.

सूअर संसार का सबसे गन्दा और घिनौना जानवर है: सूअर ज़मीन पर पाए जाने वाला सबसे गन्दा और घिनौना जानवर है | वह जानवरों और इन्सान के बदन से निकलने वाली गन्दगी का सेवन करके जीता और पलता-बढ़ता है| इस जानवर को खुदा ने गंदगियों को साफ़ करने के उद्देश्य से पैदा किया है| गाँव और देहातों में जहाँ लोगों के लिए आधुनिक शौचालय नहीं है और लोग इस कारणवश खुले वातावरण (खेत, जंगल आदि) में शौच करते हैं, अधिकतर यह जानवर सूअर ही इन गंदगियों को साफ़ करता है.

सूअर सबसे निर्लज्ज और बेशर्म जानवर है:

इस धरती पर सूअर सबसे निर्लज्ज और बेशर्म जानवर है| केवल यही एक ऐसा जानवर है जो अपने साथियों को बुलाता है कि वे आयें और उसकी मादा के साथ यौन इच्छा को पूरी करें| अमेरिका में प्रायः लोग सूअर का माँस खाते है परिणामस्वरुप ऐसा कई बार होता है कि ये लोग डांस पार्टी के बाद आपस में अपनी बीवियों की अदला बदली करते हैं अर्थात एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति से कहता है कि मेरी पत्नी के साथ तुम रात गुज़ारो और मैं तुम्हारी पत्नी के साथ रात गुज़ारुन्गा (फिर वे व्यावहारिक रूप से ऐसा करते है)| अगर आप सूअर का माँस खायेंगे तो सूअर की सी आदतें आपके अन्दर पैदा होंगी. हम भारतवासी अमेरिकियों को बहुत विकसित और साफ़ सुथरा समझते हैं | वे जो कुछ करते हैं हम भारतवासी भी उसे कुछ वर्षों बाद करने लगते हैं| Island पत्रिका में प्रकाशित लेख के अनुसार मुंबई में भी पत्नियों की अदला बदली की यह प्रथा उच्च और सामान्य वर्ग के लोगों में आम हो चुकी है.

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है!
सलीम खान

Filed under: माँसाहार, माँसाहार या शाकाहार, शाकाहार, सुअर, सुवर

135 Responses

  1. रंजन कहते हैं:

    >अगर आप सूअर का माँस खायेंगे तो सूअर की सी आदतें आपके अन्दर पैदा होंगी… बिल्कुल सही कहा आपने .. थोडा जोडे़ बकरे का खाया तो बकरे की आदते पैदा होगी, मुर्गे का खाया तो मुर्गे की, बत्तख का खाया तो बत्तख की सही समझा न मैं?

  2. रंजन कहते हैं:

    >अगर आप सूअर का माँस खायेंगे तो सूअर की सी आदतें आपके अन्दर पैदा होंगी… बिल्कुल सही कहा आपने .. थोडा जोडे़ बकरे का खाया तो बकरे की आदते पैदा होगी, मुर्गे का खाया तो मुर्गे की, बत्तख का खाया तो बत्तख की सही समझा न मैं?

  3. Mohammed Umar Kairanvi कहते हैं:

    >शाबाश, अभी आते होंगे महानुभव विचार प्रस्तुत करने, बकने हमारे ग्रंथ पर जो यह भी नहीं जानते xकुरानx (क़ुरआन) शब्द कैसे लिखा जाता है, और भाई आप तो लिख चुके कि आपको अपने ब्लाग पर प्रचार करने पर आपत्ति नहीं, इस लिये आने वालों के स्वागत के लिये यह लो,मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog) इस्लामिक पुस्तकों के अतिरिक्‍त छ अल्लाह के चैलेंज islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog) मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

  4. Mohammed Umar Kairanvi कहते हैं:

    >शाबाश, अभी आते होंगे महानुभव विचार प्रस्तुत करने, बकने हमारे ग्रंथ पर जो यह भी नहीं जानते xकुरानx (क़ुरआन) शब्द कैसे लिखा जाता है, और भाई आप तो लिख चुके कि आपको अपने ब्लाग पर प्रचार करने पर आपत्ति नहीं, इस लिये आने वालों के स्वागत के लिये यह लो,मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog) इस्लामिक पुस्तकों के अतिरिक्‍त छ अल्लाह के चैलेंज islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog) मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा antimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

  5. Sneha कहते हैं:

    >… सूअर संसार का सबसे गन्दा और घिनौना जानवर है.लेकिन सुअर को भी तो खुदा ने ही बनाया है सलीम जी. उसे गंदा क्यों बना दिया अल्लाह ने? उसमें प्राकृतिक गंदगी क्यों डाल दी? और फिर इसे बनाने की जरूरत ही क्या थी?

  6. Sneha कहते हैं:

    >… सूअर संसार का सबसे गन्दा और घिनौना जानवर है.लेकिन सुअर को भी तो खुदा ने ही बनाया है सलीम जी. उसे गंदा क्यों बना दिया अल्लाह ने? उसमें प्राकृतिक गंदगी क्यों डाल दी? और फिर इसे बनाने की जरूरत ही क्या थी?

  7. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >रंजन जी बिलकुल सही समझे आप…। "वेदों में लिखा है फ़िर भी (जी हां, फ़िर भी)" हिन्दुओं ने धीरे-धीरे मांस खाना कम कर दिया है या बन्द कर दिया है, शाकाहार आन्दोलन बढ़ता ही जा रहा है, और इसीलिये हिन्दुओं में "मानवीयता का गुण" और इन्सानी आदतें बढ़ती ही जा रही हैं… 🙂 :)। यदि हिन्दू लोग भी एक ही "किताब" (मतलब वेद) से चिपके रहते, तो कभी भी मांस नहीं छोड़ सकते थे…। ये और बात है कि टनों से गौमांस खाने के बाद भी कुछ लोग गाय जैसे पवित्र और भोले नहीं बन पाते… 🙂

  8. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >रंजन जी बिलकुल सही समझे आप…। "वेदों में लिखा है फ़िर भी (जी हां, फ़िर भी)" हिन्दुओं ने धीरे-धीरे मांस खाना कम कर दिया है या बन्द कर दिया है, शाकाहार आन्दोलन बढ़ता ही जा रहा है, और इसीलिये हिन्दुओं में "मानवीयता का गुण" और इन्सानी आदतें बढ़ती ही जा रही हैं… 🙂 :)। यदि हिन्दू लोग भी एक ही "किताब" (मतलब वेद) से चिपके रहते, तो कभी भी मांस नहीं छोड़ सकते थे…। ये और बात है कि टनों से गौमांस खाने के बाद भी कुछ लोग गाय जैसे पवित्र और भोले नहीं बन पाते… 🙂

  9. Sneha कहते हैं:

    >कुरआन क्या कहता है:१. कुरआन में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो।"… अर्थात – कुरआन मजहब में फर्क करने को कहता है.२. सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,……."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें पकडो व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तौबा करले ,नमाज कायम करे, और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो।.३. सुरा ४ की आयत ५६ तो मानवता की क्रूरतम मिशाल पेश करती है ……….."जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हें हम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खालें पक जाएँगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रस-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशाली तत्व दर्शाया है।"४. सुरा २ कि आयत १९३ …………"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए."

  10. Sneha कहते हैं:

    >कुरआन क्या कहता है:१. कुरआन में मुसलमानों को केवल मुसलमानों से मित्रता करने का आदेश है। सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो।"… अर्थात – कुरआन मजहब में फर्क करने को कहता है.२. सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,……."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें पकडो व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तौबा करले ,नमाज कायम करे, और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो।.३. सुरा ४ की आयत ५६ तो मानवता की क्रूरतम मिशाल पेश करती है ……….."जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हें हम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खालें पक जाएँगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रस-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशाली तत्व दर्शाया है।"४. सुरा २ कि आयत १९३ …………"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए."

  11. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ स्नेहा जी आपने इस्लाम और उसके नापाक मंसूबो को खूब उजागर किया ………. आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ………असल में इस्लामी मनसूबे हमेशा से नापाक ही रहे हैं … और ये अपनी नापाक हरकतों का पूरी दुनिया में ढिंढोरा पीट रहे हैं |यही इन घिनौना चेहरा है |आखिर मुहम्मद का हुक्म जो मानना है |

  12. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ स्नेहा जी आपने इस्लाम और उसके नापाक मंसूबो को खूब उजागर किया ………. आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ………असल में इस्लामी मनसूबे हमेशा से नापाक ही रहे हैं … और ये अपनी नापाक हरकतों का पूरी दुनिया में ढिंढोरा पीट रहे हैं |यही इन घिनौना चेहरा है |आखिर मुहम्मद का हुक्म जो मानना है |

  13. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ सलीम खान आपका कहना यह है की मैंने मांसाहार को किसी धर्म से नहीं जोड़ा है ………. परन्तु हर बार की तरह इस बार भी आपने अपने कुतर्कों को सत्य साबित करने के लिए बाइबिल और कुरआन जैसे ग्रंथो का सहारा लिया हैं |जबकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं के हिसाब से गौमांस खाने से होने वाली बीमारियों की सम्भावना सूअर के मांस के भक्षण करने की तुलना में ज्यादा हैं |आपके लिए गिरिजेश राय के शब्दों में वही शब्द ठीक है "थुकायल" हमेशा तर्कों में मात खाकर भी नहीं सुधरते बल्कि एक और नई पोस्ट ठेल देते हो |

  14. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ सलीम खान आपका कहना यह है की मैंने मांसाहार को किसी धर्म से नहीं जोड़ा है ………. परन्तु हर बार की तरह इस बार भी आपने अपने कुतर्कों को सत्य साबित करने के लिए बाइबिल और कुरआन जैसे ग्रंथो का सहारा लिया हैं |जबकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं के हिसाब से गौमांस खाने से होने वाली बीमारियों की सम्भावना सूअर के मांस के भक्षण करने की तुलना में ज्यादा हैं |आपके लिए गिरिजेश राय के शब्दों में वही शब्द ठीक है "थुकायल" हमेशा तर्कों में मात खाकर भी नहीं सुधरते बल्कि एक और नई पोस्ट ठेल देते हो |

  15. गरुणध्वज कहते हैं:

    >वैसे आप सभी कि जानकारी के लिए बता दूं कि वे देश जो सूअर खाने से परहेज़ नहीं करते ……… ज्यादा तरक्की पर हैं वनिस्पत उन देशो के जो सूअर खाना नापाक समझतें हैं |सूअर खाने वाले देश :१. अमेरिका २. चीन ३. रूस ४. जापान ५.यूरोपीय देश सूअर न खाने वाले :१. पाकिस्तान२. अफगानिस्तान ३. सूडान ४. ईराक ५. बांग्लादेश …….. आदि क्या कारण हैं कि अल्लाह उन्ही देशो में ज्यादा संपन्नता फैला रहा है जो उनके हुक्म को नहीं मानते |कहीं ऐसा तो नहीं कि आप लोगों ने उनके हुक्म को गलत समझ लिया | :)अभी भी वक़्त हैं सम्पन्नता अपनानी है तो अल्लाह के हुक्म को समझिये और खुलेदिल से सूअर खाइए …. :)और हाँ केवल भारतीय सूअर गंदगी फैलाते हैं |विदेशी सूअरों को देखा हैं आपने ……… उन्हें मोटा करने के लिए फार्मो में पाला जाता है और साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है ……… आप इंपोर्ट क्वालिटी खाइए ……… ?चाहिए तो बोलिए हम सरकार से सब्सिडी के लिए सिफारिश भी कर दें ………? 🙂

  16. गरुणध्वज कहते हैं:

    >वैसे आप सभी कि जानकारी के लिए बता दूं कि वे देश जो सूअर खाने से परहेज़ नहीं करते ……… ज्यादा तरक्की पर हैं वनिस्पत उन देशो के जो सूअर खाना नापाक समझतें हैं |सूअर खाने वाले देश :१. अमेरिका २. चीन ३. रूस ४. जापान ५.यूरोपीय देश सूअर न खाने वाले :१. पाकिस्तान२. अफगानिस्तान ३. सूडान ४. ईराक ५. बांग्लादेश …….. आदि क्या कारण हैं कि अल्लाह उन्ही देशो में ज्यादा संपन्नता फैला रहा है जो उनके हुक्म को नहीं मानते |कहीं ऐसा तो नहीं कि आप लोगों ने उनके हुक्म को गलत समझ लिया | :)अभी भी वक़्त हैं सम्पन्नता अपनानी है तो अल्लाह के हुक्म को समझिये और खुलेदिल से सूअर खाइए …. :)और हाँ केवल भारतीय सूअर गंदगी फैलाते हैं |विदेशी सूअरों को देखा हैं आपने ……… उन्हें मोटा करने के लिए फार्मो में पाला जाता है और साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है ……… आप इंपोर्ट क्वालिटी खाइए ……… ?चाहिए तो बोलिए हम सरकार से सब्सिडी के लिए सिफारिश भी कर दें ………? 🙂

  17. वजूद कहते हैं:

    >सलीम भाई, गरुदद्वज जी, नेहा जी, निशांत जी,आप सभी की टिप्पणियों को मैंने पढा. सच्चाई यह है कि प्लीज़ इसे धर्म से जोड़कर मनों में खटास ना भरें. हम सभी के पूर्वजों ने कुछ गलतियाँ भी की हैं और कई अच्चैयाँ भी. चाहे हम मुसलमान हों या हिन्दू या ईसाई. सब कुछ परिस्तिथिवश हुआ. इसलिए अपने महान पूर्वजों पर चीखने के बजाय सौहार्दता से काम लें. मैं ये बता दूं कि हममें से असल कोई नहीं, लेकिन साबित इसलिए नहीं करूंगा कि न तो यह हमारा विषय है, और न ही इसे तवज्जो देना चाहता हूँ. लेकिन अपने ब्लॉग पर एक दिन इसे लिखूंगा ज़रूर. बहरहाल हम सभी का मकसद एक होना चाहिए. मेरा ख़याल है कि सलीम भाई आप भी विवादित विषयों से बच सकते थे यदि लगातार तीसरी बार इस विषय पर ना लिखते. मैं सिर्फ यह सलाह आप सभी को देना चाहता हूँ कि यदि संभव हो तो हम सभी हर महीने ५०-५० गरीबों को अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार शाकाहार या मांसाहार भोजन ज़रूर कराएँ. कोशिश करें कि अपने घर का बचा हुआ भोजन भी किसी भूखे को ही दें, ताकि कोई गरीब भूखा सुबह उठ भले ही जाए, लेकिन सोये नहीं.वैसे आप सभी की जानकारी के लिए बता दूं कि हिन्दुस्तान में हैदराबाद, झाबुआ, केरल, और उडीसा के कई हिन्दू सूअर का मॉस खाकर पेट भरते हैं, क्योंकि उन्हें सब्जी या दाल मंहगी मिलती हैं. इसी प्रकार से कंधार, पावाकुल, कदीवाडी, काबुल के ग्रामीण हिस्सों में भी सूअर का मॉस मुसलमान लोग खाते हैं, क्योंकि वहां न तो फसलें होती हैं और न ही कोई दूसरा जानवर आसानी से मुहैय्या होता है. इसलिए हम्माम में हम सब नंगे हैं. बेहतर होगा कि हम सब भूखे लोगों के लिए कुछ सोचें.

  18. वजूद कहते हैं:

    >सलीम भाई, गरुदद्वज जी, नेहा जी, निशांत जी,आप सभी की टिप्पणियों को मैंने पढा. सच्चाई यह है कि प्लीज़ इसे धर्म से जोड़कर मनों में खटास ना भरें. हम सभी के पूर्वजों ने कुछ गलतियाँ भी की हैं और कई अच्चैयाँ भी. चाहे हम मुसलमान हों या हिन्दू या ईसाई. सब कुछ परिस्तिथिवश हुआ. इसलिए अपने महान पूर्वजों पर चीखने के बजाय सौहार्दता से काम लें. मैं ये बता दूं कि हममें से असल कोई नहीं, लेकिन साबित इसलिए नहीं करूंगा कि न तो यह हमारा विषय है, और न ही इसे तवज्जो देना चाहता हूँ. लेकिन अपने ब्लॉग पर एक दिन इसे लिखूंगा ज़रूर. बहरहाल हम सभी का मकसद एक होना चाहिए. मेरा ख़याल है कि सलीम भाई आप भी विवादित विषयों से बच सकते थे यदि लगातार तीसरी बार इस विषय पर ना लिखते. मैं सिर्फ यह सलाह आप सभी को देना चाहता हूँ कि यदि संभव हो तो हम सभी हर महीने ५०-५० गरीबों को अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार शाकाहार या मांसाहार भोजन ज़रूर कराएँ. कोशिश करें कि अपने घर का बचा हुआ भोजन भी किसी भूखे को ही दें, ताकि कोई गरीब भूखा सुबह उठ भले ही जाए, लेकिन सोये नहीं.वैसे आप सभी की जानकारी के लिए बता दूं कि हिन्दुस्तान में हैदराबाद, झाबुआ, केरल, और उडीसा के कई हिन्दू सूअर का मॉस खाकर पेट भरते हैं, क्योंकि उन्हें सब्जी या दाल मंहगी मिलती हैं. इसी प्रकार से कंधार, पावाकुल, कदीवाडी, काबुल के ग्रामीण हिस्सों में भी सूअर का मॉस मुसलमान लोग खाते हैं, क्योंकि वहां न तो फसलें होती हैं और न ही कोई दूसरा जानवर आसानी से मुहैय्या होता है. इसलिए हम्माम में हम सब नंगे हैं. बेहतर होगा कि हम सब भूखे लोगों के लिए कुछ सोचें.

  19. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेह जी, इस जानवर को खुदा ने गंदगियों को साफ़ करने के उद्देश्य से पैदा किया है| गाँव और देहातों में जहाँ लोगों के लिए आधुनिक शौचालय नहीं है और लोग इस कारणवश खुले वातावरण (खेत, जंगल आदि) में शौच करते हैं, अधिकतर यह जानवर सूअर ही इन गंदगियों को साफ़ करता है. हम आज भी शहरों के किनारे और गाँव आदि में इन्हें यह सब करते आसानी से देख सकते हैं…

  20. वजूद कहते हैं:

    >आप लोग जो इस मुद्दे पर इतनी बहस कर रहे हैं, वे क्यों नहीं ऐसी जगह रहने वाले सूअर खाने वालों को रोटी देने की सोचते हैं?

  21. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेह जी, इस जानवर को खुदा ने गंदगियों को साफ़ करने के उद्देश्य से पैदा किया है| गाँव और देहातों में जहाँ लोगों के लिए आधुनिक शौचालय नहीं है और लोग इस कारणवश खुले वातावरण (खेत, जंगल आदि) में शौच करते हैं, अधिकतर यह जानवर सूअर ही इन गंदगियों को साफ़ करता है. हम आज भी शहरों के किनारे और गाँव आदि में इन्हें यह सब करते आसानी से देख सकते हैं…

  22. वजूद कहते हैं:

    >आप लोग जो इस मुद्दे पर इतनी बहस कर रहे हैं, वे क्यों नहीं ऐसी जगह रहने वाले सूअर खाने वालों को रोटी देने की सोचते हैं?

  23. ab inconvenienti कहते हैं:

    >सवाल तो यह है की कितने प्रतिशत हिन्दू मांसाहारी हैं. और उनमे भी कितने प्रतिशत सूअर का मांस खाते हैं? और खाने को तो केस्पियन सागर से लगे मुस्लिम देशों में भी मुस्लिमों द्वारा पोर्क खूब खाया जाता है, पहले उन्हें समझाओ.जिस गाय का अभी दूध दुह कर पीते हो उसे ही घंटे भर बाद काट कर खा जाते हो.

  24. ab inconvenienti कहते हैं:

    >सवाल तो यह है की कितने प्रतिशत हिन्दू मांसाहारी हैं. और उनमे भी कितने प्रतिशत सूअर का मांस खाते हैं? और खाने को तो केस्पियन सागर से लगे मुस्लिम देशों में भी मुस्लिमों द्वारा पोर्क खूब खाया जाता है, पहले उन्हें समझाओ.जिस गाय का अभी दूध दुह कर पीते हो उसे ही घंटे भर बाद काट कर खा जाते हो.

  25. वजूद कहते हैं:

    >हमारी विष्टा में एक विषाणु होता है, जो विष्टा के साथ-साथ सूअर में भी चला जाता है. यदि इसे इंसान खाता है तो मेनिन्जाइतिस का शिकार हो सकता है. सूअर को यह बीमारी नहीं होती क्योंकि उसमें वैसी क्षमता होती है. इसी तरह चील- कौओं में भी यही गुण होता है. पर मेरे भाई! इंसानों को खाना तो दो. कम से कम आप हिन्दू-मुसलामानों पर बहस करने वाले लोग भले ही मुफलिसों को शाकाहार दें या मांसाहार, पर कुछ दें तो सही.

  26. वजूद कहते हैं:

    >हमारी विष्टा में एक विषाणु होता है, जो विष्टा के साथ-साथ सूअर में भी चला जाता है. यदि इसे इंसान खाता है तो मेनिन्जाइतिस का शिकार हो सकता है. सूअर को यह बीमारी नहीं होती क्योंकि उसमें वैसी क्षमता होती है. इसी तरह चील- कौओं में भी यही गुण होता है. पर मेरे भाई! इंसानों को खाना तो दो. कम से कम आप हिन्दू-मुसलामानों पर बहस करने वाले लोग भले ही मुफलिसों को शाकाहार दें या मांसाहार, पर कुछ दें तो सही.

  27. सलीम खान कहते हैं:

    >@सुरेश चिपलूनकर जी, वास्तव में वेदों में लिखा है की माँस खाना जायज़ है…. आपने कहा कि फिर हम नहीं मानते क्यूंकि अब आप लोगों ने वेदों को मानना छोड़ दिया है…वास्तव में आपके धर्म के सर्वोच्च जिन्हें हम शंकराचार्य लोगों से पूछिये क्या आप सही कर रहें हैं? अवश्य उनका जवाब ना में होगा !! ख़ैर!!!शाकाहार आन्दोलन बेसिकली बौद्धों का था और जैनियों का था, जिन्हें तात्कालिक ब्राह्मणों ने ज़बरन छीन कर हथिया लिया. क्यूंकि यह आन्दोलन या विचार बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा था और लोग इसे बहुत तेज़ी से अपना रहे थे… बौद्धों और जैनियों का रुतबा ब्राह्मणों से बहुत आगे जा रहा था जो कि ब्राह्मणों को कतई गवांरा नहीं हो रहा था और उन्होंने साजिशन और ज़बरियाँ (क्यूंकि उनका प्रभुत्व समाज में बहुत ज़्यादा था) इस आन्दोनल का श्री अपने ऊपर ले लिया … और चूँकि जो ब्रह्मण करता है वह समाज में पूरी तरह से मान्य होता है, यही वजह रही कि बौद्ध और जैन लोग की विचारधारा की रोटी सेंक ली ब्राह्मणों ने …वरना इससे पहले ब्रह्मण ही सबसे ज़्यादा माँस खाते थे खास कर जिस के लिए आज धुर-विरोध कर रहें है !!!इस सम्बन्ध में श्री राम शरण जी जी पुस्तक "साम्प्रदायिकता और राम का अस्तित्व" पढें….(निजी तौर पर मैंने सत्य को तर्क का अमलीजामा पहना कर आप तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन मेरा मानना है कि "भारत के हिन्दू और मुसलामानों, आओ उस बात की तरफ़ जो हममे और तुममें एक जैसी हों,,,")

  28. सलीम खान कहते हैं:

    >@सुरेश चिपलूनकर जी, वास्तव में वेदों में लिखा है की माँस खाना जायज़ है…. आपने कहा कि फिर हम नहीं मानते क्यूंकि अब आप लोगों ने वेदों को मानना छोड़ दिया है…वास्तव में आपके धर्म के सर्वोच्च जिन्हें हम शंकराचार्य लोगों से पूछिये क्या आप सही कर रहें हैं? अवश्य उनका जवाब ना में होगा !! ख़ैर!!!शाकाहार आन्दोलन बेसिकली बौद्धों का था और जैनियों का था, जिन्हें तात्कालिक ब्राह्मणों ने ज़बरन छीन कर हथिया लिया. क्यूंकि यह आन्दोलन या विचार बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा था और लोग इसे बहुत तेज़ी से अपना रहे थे… बौद्धों और जैनियों का रुतबा ब्राह्मणों से बहुत आगे जा रहा था जो कि ब्राह्मणों को कतई गवांरा नहीं हो रहा था और उन्होंने साजिशन और ज़बरियाँ (क्यूंकि उनका प्रभुत्व समाज में बहुत ज़्यादा था) इस आन्दोनल का श्री अपने ऊपर ले लिया … और चूँकि जो ब्रह्मण करता है वह समाज में पूरी तरह से मान्य होता है, यही वजह रही कि बौद्ध और जैन लोग की विचारधारा की रोटी सेंक ली ब्राह्मणों ने …वरना इससे पहले ब्रह्मण ही सबसे ज़्यादा माँस खाते थे खास कर जिस के लिए आज धुर-विरोध कर रहें है !!!इस सम्बन्ध में श्री राम शरण जी जी पुस्तक "साम्प्रदायिकता और राम का अस्तित्व" पढें….(निजी तौर पर मैंने सत्य को तर्क का अमलीजामा पहना कर आप तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन मेरा मानना है कि "भारत के हिन्दू और मुसलामानों, आओ उस बात की तरफ़ जो हममे और तुममें एक जैसी हों,,,")

  29. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >यह एक सुज्ञात तथ्य है कि सबसे अधिक रोग पानी और हवा के माध्यम से शरीर को लगते हैं। आपके अल्लाह ने पानी पीने से मना नहीं किया? चीनी जैसी मीठी चीज की अधिकता से मधुमेह जैसा भयंकर रोग लगता है। आपके खुदा को यह पता होता तो कुरान में इसे जरूर लिखते ( कितने अज्ञानी हैं आपके अल्लाह ताला! ) मोहम्मद खुद जिन्दगी भर लड़ते रहे और साथ में कुरान देकर इस धरा को सदा के लिये रणक्षेत्र बनाकर पता नहीं कहाँ चले गये।

  30. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >यह एक सुज्ञात तथ्य है कि सबसे अधिक रोग पानी और हवा के माध्यम से शरीर को लगते हैं। आपके अल्लाह ने पानी पीने से मना नहीं किया? चीनी जैसी मीठी चीज की अधिकता से मधुमेह जैसा भयंकर रोग लगता है। आपके खुदा को यह पता होता तो कुरान में इसे जरूर लिखते ( कितने अज्ञानी हैं आपके अल्लाह ताला! ) मोहम्मद खुद जिन्दगी भर लड़ते रहे और साथ में कुरान देकर इस धरा को सदा के लिये रणक्षेत्र बनाकर पता नहीं कहाँ चले गये।

  31. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेहा जी, आपने कुरआन की उन आयातों का ज़िक्र किया है जिससे पहले या उसके बाद की आयातों (श्लोकों) में इस का पूर्ण अर्थ निकलता है आपने कुरआन की यह आयत अधूरी लिखी जिससे कि अर्थ का अनर्थ हो गयाआपने लिखा "सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो।"… अर्थात – कुरआन मजहब में फर्क करने को कहता है."बिलकुल झूठ है…. असल में पूरी तरह से सम्पूर्ण श्लोक यह है:सुरह ३, आयत संख्या ११८ "ऐ ईमान लानेवालों ! अपनों को छोड़ कर दूसरो को अपना अन्तरंग मित्र न बनाओ, वे तुम्हें नुकसान पहुँचने में कोई कमीं नहीं करते. जितनी भी कठिनाई में तुम पढो, उनके लिए प्रिय है. उनका द्वेष उनके मुहं से व्यक्त हो चुका है और जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए हैं, और वह तो इससे भी बढ़कर है. यदि तुम बुद्धि से काम लो तो हमने तुम्हारे लिए निशानियाँ खोलकर बयां कर दी हैं."आगे अल्लाह (स.व.त.) फरमाता है कि "ये तो तुम हो जो उनसे प्रेम करते हो, और वे तुमसे प्रेम नहीं करते, जबकि तुम सभी किताबो पर यक़ीन रखते हो….."और पढ़े इस पर http://quranhindi.com/p088.htmhttp://quranhindi.com/p089.htmHope this is the answer of your question….

  32. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेहा जी, आपने कुरआन की उन आयातों का ज़िक्र किया है जिससे पहले या उसके बाद की आयातों (श्लोकों) में इस का पूर्ण अर्थ निकलता है आपने कुरआन की यह आयत अधूरी लिखी जिससे कि अर्थ का अनर्थ हो गयाआपने लिखा "सुरा ३ की आयत ११८ में लिखा है कि, "अपने (मजहब) के लोगो के अतिरिक्त किन्ही भी लोगो से मित्रता मत करो।"… अर्थात – कुरआन मजहब में फर्क करने को कहता है."बिलकुल झूठ है…. असल में पूरी तरह से सम्पूर्ण श्लोक यह है:सुरह ३, आयत संख्या ११८ "ऐ ईमान लानेवालों ! अपनों को छोड़ कर दूसरो को अपना अन्तरंग मित्र न बनाओ, वे तुम्हें नुकसान पहुँचने में कोई कमीं नहीं करते. जितनी भी कठिनाई में तुम पढो, उनके लिए प्रिय है. उनका द्वेष उनके मुहं से व्यक्त हो चुका है और जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए हैं, और वह तो इससे भी बढ़कर है. यदि तुम बुद्धि से काम लो तो हमने तुम्हारे लिए निशानियाँ खोलकर बयां कर दी हैं."आगे अल्लाह (स.व.त.) फरमाता है कि "ये तो तुम हो जो उनसे प्रेम करते हो, और वे तुमसे प्रेम नहीं करते, जबकि तुम सभी किताबो पर यक़ीन रखते हो….."और पढ़े इस पर http://quranhindi.com/p088.htmhttp://quranhindi.com/p089.htmHope this is the answer of your question….

  33. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेहा जी, आगे आपने कुरआन की यह आयत पेश की २. सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,……."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें पकडो व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तौबा करले ,नमाज कायम करे, और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो।"एक सेनापति अपने सैनिकों से कह रहा है कि तुम जंग के मैंदान में दुश्मनों को जहाँ पो क़त्ल करो…. क्या वह गलत कह रहा है.. कोई भी आर्मी जनरल ऐसा ही कहता है…गीता पढ़े है उसमें श्री कृष्ण जी अर्जुन से कहते है (जब वह अपना हथियार ज़मीन पर डाल देते है) तुम कैसे बुजदिल हो. हे ! भारत, सच्चाई के लिए अगर तुम्हें अपने रिश्तेदारों, सगे-सम्बन्धियों का क़त्ल करना पढ़े तो यह तुम्हारा धर्म होगा…(दुश्मन की तो बात ही क्या) यह भगवत गीता के अध्याय २ में लिखा है…. स्नेहा जी, आपने सुरा ९ आयत ५ को कोट किया जबकि अल्लाह (स.व.त.) ठीक इसकी बार की आयत में कहता है (मेरे ब्लॉग पर सबसे ऊपर 'सप्ताह के स्वच्छ सन्देश में यही लिखा है')"और यदि मुशरिकों में से कोई तुमसे शरण मांगे, तो तुम उसे शरण दे दो. यहाँ तक की वह अल्लाह की वाणी सुन ले. फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दो, क्यूंकि वे ऐसे लोग हैं जिन्हें ज्ञान नहीं." सुरा 9, अत-तौबा, श्लोक 6"ये आपको नज़र नहीं आएगा क्यूंकि इससे अर्थ स्पष्ट हो जाता है….प्लीज़ ध्यान से पढेंगे तो इंशा अल्लाह आपको सब समझ में आ जायेगा…

  34. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेहा जी, आगे आपने कुरआन की यह आयत पेश की २. सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,……."फ़िर जब पवित्र महीने बीत जायें तो मुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें पकडो व घेरो और हर घाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तौबा करले ,नमाज कायम करे, और जकात दे तो उनका रास्ता छोड़ दो।"एक सेनापति अपने सैनिकों से कह रहा है कि तुम जंग के मैंदान में दुश्मनों को जहाँ पो क़त्ल करो…. क्या वह गलत कह रहा है.. कोई भी आर्मी जनरल ऐसा ही कहता है…गीता पढ़े है उसमें श्री कृष्ण जी अर्जुन से कहते है (जब वह अपना हथियार ज़मीन पर डाल देते है) तुम कैसे बुजदिल हो. हे ! भारत, सच्चाई के लिए अगर तुम्हें अपने रिश्तेदारों, सगे-सम्बन्धियों का क़त्ल करना पढ़े तो यह तुम्हारा धर्म होगा…(दुश्मन की तो बात ही क्या) यह भगवत गीता के अध्याय २ में लिखा है…. स्नेहा जी, आपने सुरा ९ आयत ५ को कोट किया जबकि अल्लाह (स.व.त.) ठीक इसकी बार की आयत में कहता है (मेरे ब्लॉग पर सबसे ऊपर 'सप्ताह के स्वच्छ सन्देश में यही लिखा है')"और यदि मुशरिकों में से कोई तुमसे शरण मांगे, तो तुम उसे शरण दे दो. यहाँ तक की वह अल्लाह की वाणी सुन ले. फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दो, क्यूंकि वे ऐसे लोग हैं जिन्हें ज्ञान नहीं." सुरा 9, अत-तौबा, श्लोक 6"ये आपको नज़र नहीं आएगा क्यूंकि इससे अर्थ स्पष्ट हो जाता है….प्लीज़ ध्यान से पढेंगे तो इंशा अल्लाह आपको सब समझ में आ जायेगा…

  35. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेहा जी, आपने आगे कुरआन की यह आयत कोट की ४. सुरा २ कि आयत १९३ …………"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब (इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए….सर्वप्रथम कुरआन में इस आयत में फ़ितना लिखा है मूर्ति पूजा नहीं… और फ़ितना का अर्थ होता है उत्पीड़न.आगे पूरी आयत इस प्रकार है:"तुम उनसे लड़ो यहाँ तक कि फ़ितना शेष न रह जाये और धर्म अल्लाह के लिए हो जाये.अतः यदि वे बाज़ आ जाएँ तो अत्याचारियों के अतिरिक्त किसी के विरूद्व कोई क़दम उठाना ठीक नहीं" आपसे फिर से गुजारिश है कि कुरआन की आयातों को 'आउट ऑफ़ कांटेक्स्ट' कोट ना करें…..

  36. सलीम खान कहते हैं:

    >@स्नेहा जी, आपने आगे कुरआन की यह आयत कोट की ४. सुरा २ कि आयत १९३ …………"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तक मूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब (इस्लाम) सब पर हावी न हो जाए….सर्वप्रथम कुरआन में इस आयत में फ़ितना लिखा है मूर्ति पूजा नहीं… और फ़ितना का अर्थ होता है उत्पीड़न.आगे पूरी आयत इस प्रकार है:"तुम उनसे लड़ो यहाँ तक कि फ़ितना शेष न रह जाये और धर्म अल्लाह के लिए हो जाये.अतः यदि वे बाज़ आ जाएँ तो अत्याचारियों के अतिरिक्त किसी के विरूद्व कोई क़दम उठाना ठीक नहीं" आपसे फिर से गुजारिश है कि कुरआन की आयातों को 'आउट ऑफ़ कांटेक्स्ट' कोट ना करें…..

  37. सलीम खान कहते हैं:

    >मैं बैठा हूँ आपकी नाराज़गी दूर करने के लिए…. सवाल कीजिये इंशा अल्लाह मैं ज़रूर जवाब दूंगा

  38. सलीम खान कहते हैं:

    >मैं बैठा हूँ आपकी नाराज़गी दूर करने के लिए…. सवाल कीजिये इंशा अल्लाह मैं ज़रूर जवाब दूंगा

  39. संजय बेंगाणी कहते हैं:

    >अपन इस पचड़े से दूर है…सबको अपना अपना धर्म मुबारक. बस एक बात बता दो तो चैन मिले.खुदा ने कहा जब तक विधर्मी या काफीर या जो भी कह लो, जो नमाज वगेरे अदा नहीं करता उसको मुसलमान बना कर नमाजी बनाओ…न बने तब तक प्रयास करो, यातना दो…वगेरे वगेरे…तो यह काम सर्वशक्तिमान खुदा खूद ही क्यों नहीं कर लेता…जिसने पूरी दुनिया बनाई है. पलक झपकते ही सब मुसलमान…बस टंटा ही खत्म…काहे एजेंट नियुक्त करे…काहे दुनिया का जिना हराम करे…

  40. संजय बेंगाणी कहते हैं:

    >अपन इस पचड़े से दूर है…सबको अपना अपना धर्म मुबारक. बस एक बात बता दो तो चैन मिले.खुदा ने कहा जब तक विधर्मी या काफीर या जो भी कह लो, जो नमाज वगेरे अदा नहीं करता उसको मुसलमान बना कर नमाजी बनाओ…न बने तब तक प्रयास करो, यातना दो…वगेरे वगेरे…तो यह काम सर्वशक्तिमान खुदा खूद ही क्यों नहीं कर लेता…जिसने पूरी दुनिया बनाई है. पलक झपकते ही सब मुसलमान…बस टंटा ही खत्म…काहे एजेंट नियुक्त करे…काहे दुनिया का जिना हराम करे…

  41. सलीम खान कहते हैं:

    >संजय जी, ऐसा कुछ नहीं कि किसी को ज़बरदस्ती मुसलमान बना लिया जाये यह तो दिल का सौदा है….अगर आपका दिल मानता है कि ईश्वर एक है तो यह हुआ मुसलमान होने की पहली सीढ़ी… दूसरा अगर आप यह मानते है कि मुहम्मद स.अ.व. अल्लाह स.व.त. अंतिम संदेष्ठा हैं. (जैसा कि वेदों में भी ज़िक्र है कि कल्कि अवतार आएगा और नाराशंश महर्षि आयेंगे, और ये नाम और इनके काम और इनकी आने की भाविश्य्वानी जिस प्रकार से लिखी है आप (मुहम्मद स.अ.व. पर सटीक बैठती है)स्वयं पढ़े तो ज्यादा बेहतर होगा)

  42. Sneha कहते हैं:

    >सलीम जी,– गाँव वालों को भी तो अल्लाह ताला ने बनाया है उन्हें आधुनिक शौचालयों से वंचित क्यों रखा गया?– यदि आधुनिक शौचालय हर जगह उपल्ब्ध हो जाये तो इन सूअरों का क्या होगा?– यदि इस सारे संसार की हर चीज को अल्लाह ने बनाया है तो आप इनमें गलतीयाँ क्यों निकालते हो? इसे ऐसे ही स्वीकार करो जैसे इन्हें बनाया गया है.– अल्लाह तो गलती नहीं कर सकता तो आप अल्लाह के बनाये इस संसार में अल्लाह की गलतीयाँ सुधारने के ठेकेदार क्यों बन रहे हो.—————-… कोई भी आर्मी जनरल ऐसा ही कहता है…– यानि तुम खुदा को एक सेनापति मानते हो और मुस्लिमों को उनकी सेना और जो मूर्ती पूजा करते हैं वो तुम्हारे दुश्मन हो गए. वैरी गुड.– गीता कभी जिंदगी में पढी है सलीम जी आपने? दो लाईनों को उठा कर चिपका दिया… कृष्ण जी अर्जुन से लडने के लिये इसलिये कहते हैं की सामने खडे कौरव बेशक उनके रिश्तेदार हैं लेकिन हैं तो उनके दुश्मन. कृष्ण किसी मुर्ति पूजा अथवा नॉन मूर्ति पूजा करने वाले को मारने के लिये नहीं कह रहे. वो अपने धर्म को मनवाने के लिये भी लडाई लडवाने के लिये नहीं कह रहे. इस्लाम खुद को मनवाने के लिये हिंसा का सहारा लेता है. — गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कभी भी हिन्दू, मुस्लिम अथवा ईसाई समुदाय को संबोधित नहीं किया. उन्होंने हमेशा "हे मानव" जैसे संबोधक प्रयोग किये हैं. — भगवान श्री कृष्ण या किसी भी देवी-देवताओं ने यह नहीं कहा कि जो मेरी मूर्ति की पूजा ना करे या मेरे अस्तित्व से इंकार करे उसे पकडो और मारो.

  43. सलीम खान कहते हैं:

    >संजय जी, ऐसा कुछ नहीं कि किसी को ज़बरदस्ती मुसलमान बना लिया जाये यह तो दिल का सौदा है….अगर आपका दिल मानता है कि ईश्वर एक है तो यह हुआ मुसलमान होने की पहली सीढ़ी… दूसरा अगर आप यह मानते है कि मुहम्मद स.अ.व. अल्लाह स.व.त. अंतिम संदेष्ठा हैं. (जैसा कि वेदों में भी ज़िक्र है कि कल्कि अवतार आएगा और नाराशंश महर्षि आयेंगे, और ये नाम और इनके काम और इनकी आने की भाविश्य्वानी जिस प्रकार से लिखी है आप (मुहम्मद स.अ.व. पर सटीक बैठती है)स्वयं पढ़े तो ज्यादा बेहतर होगा)

  44. Sneha कहते हैं:

    >सलीम जी,– गाँव वालों को भी तो अल्लाह ताला ने बनाया है उन्हें आधुनिक शौचालयों से वंचित क्यों रखा गया?– यदि आधुनिक शौचालय हर जगह उपल्ब्ध हो जाये तो इन सूअरों का क्या होगा?– यदि इस सारे संसार की हर चीज को अल्लाह ने बनाया है तो आप इनमें गलतीयाँ क्यों निकालते हो? इसे ऐसे ही स्वीकार करो जैसे इन्हें बनाया गया है.– अल्लाह तो गलती नहीं कर सकता तो आप अल्लाह के बनाये इस संसार में अल्लाह की गलतीयाँ सुधारने के ठेकेदार क्यों बन रहे हो.—————-… कोई भी आर्मी जनरल ऐसा ही कहता है…– यानि तुम खुदा को एक सेनापति मानते हो और मुस्लिमों को उनकी सेना और जो मूर्ती पूजा करते हैं वो तुम्हारे दुश्मन हो गए. वैरी गुड.– गीता कभी जिंदगी में पढी है सलीम जी आपने? दो लाईनों को उठा कर चिपका दिया… कृष्ण जी अर्जुन से लडने के लिये इसलिये कहते हैं की सामने खडे कौरव बेशक उनके रिश्तेदार हैं लेकिन हैं तो उनके दुश्मन. कृष्ण किसी मुर्ति पूजा अथवा नॉन मूर्ति पूजा करने वाले को मारने के लिये नहीं कह रहे. वो अपने धर्म को मनवाने के लिये भी लडाई लडवाने के लिये नहीं कह रहे. इस्लाम खुद को मनवाने के लिये हिंसा का सहारा लेता है. — गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कभी भी हिन्दू, मुस्लिम अथवा ईसाई समुदाय को संबोधित नहीं किया. उन्होंने हमेशा "हे मानव" जैसे संबोधक प्रयोग किये हैं. — भगवान श्री कृष्ण या किसी भी देवी-देवताओं ने यह नहीं कहा कि जो मेरी मूर्ति की पूजा ना करे या मेरे अस्तित्व से इंकार करे उसे पकडो और मारो.

  45. सलीम खान कहते हैं:

    >और आपका कहना यह है कि अल्लाह स्वयं क्यूँ नहीं कर लेता या इससे मीलता जुलता सवाल यह है कि अल्लाह जब सबकुछ कर सकता तो यह क्यूँ नहीं कर सकता…मैं आपको बता दूं अल्लाह (ईश्वर) सब कुछ नहीं कर सकता अल्लाह झूठ नहीं बोलता, अल्लाह खाना नहीं खाता, अल्लाह मरता नहीं है, अल्लाह ना-इंसाफी नहीं करता…….

  46. सलीम खान कहते हैं:

    >और आपका कहना यह है कि अल्लाह स्वयं क्यूँ नहीं कर लेता या इससे मीलता जुलता सवाल यह है कि अल्लाह जब सबकुछ कर सकता तो यह क्यूँ नहीं कर सकता…मैं आपको बता दूं अल्लाह (ईश्वर) सब कुछ नहीं कर सकता अल्लाह झूठ नहीं बोलता, अल्लाह खाना नहीं खाता, अल्लाह मरता नहीं है, अल्लाह ना-इंसाफी नहीं करता…….

  47. Nirmla Kapila कहते हैं:

    >सूअर एक गन्दा और घिनौना जानवर है क्या यही काफी नहीं कि उसका मास ना खाया जये? पोस्त अच्छी है आभार््

  48. निर्मला कपिला कहते हैं:

    >सूअर एक गन्दा और घिनौना जानवर है क्या यही काफी नहीं कि उसका मास ना खाया जये? पोस्त अच्छी है आभार््

  49. सलीम खान कहते हैं:

    >@sneha jee khas kar aapke liye mera agla post hoga "jihaad bhagwat geeta men bhi" khas aapke liye jismen main sidh karunga ki jis prakar se quraan men likha hai bhagwat geeta men bhi likha haiwait and watch

  50. सलीम खान कहते हैं:

    >निर्मला जी आपने सही फ़रमाया शुक्रिया

  51. सलीम खान कहते हैं:

    >@sneha jee khas kar aapke liye mera agla post hoga "jihaad bhagwat geeta men bhi" khas aapke liye jismen main sidh karunga ki jis prakar se quraan men likha hai bhagwat geeta men bhi likha haiwait and watch

  52. सलीम खान कहते हैं:

    >निर्मला जी आपने सही फ़रमाया शुक्रिया

  53. सलीम खान कहते हैं:

    >देखिये मैं फिर कह रहा हूँ कि कुरआन में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि मासूमों को मारो…वहां लिखा है कि अत्याचारियों को मारो … ठीक वैसे जैसे गीता में लिखा है

  54. गरुणध्वज कहते हैं:

    >लो भाई ये तो फिर शुरू हो गए फिर से हमें कुरआन पढ़ने की शिक्षा दे रहें हैं |जो की ७ वी शताब्दी में लिखी गई थी |भई हम तो इन्हें नहीं कहते की हमारे धर्म ग्रन्थ पढो तथा उनके अनुसार चलो ………. हम तो कहते हैं की आधुनिक विचारधारा की ओर चलो और उसी के अनुसार कर्म करो |लेकिन ये तो अटके हुएँ है | 🙂 निहायत ही वाहियात कुतर्क जबरदस्ती थोप रहें हैं …….. एक पोस्ट में , दुसरे पोस्ट में जब नहीं जीत पाए तो तीसरी पोस्ट लिख कर जताना चाह रहे हैं ……….. हम नहीं सुधरेंगे |ऐसे लोगो के लिए एक ही मुहावरा काफी है "भैंस के आगे बीन बजाओ, भैंस खड़ी पगुराए "कितना भी तर्क रुपी बीन बजाओ वह करेगी तो कुतर्की गोबर ही गाय तो नहीं हो सकती न ………………?

  55. सलीम खान कहते हैं:

    >देखिये मैं फिर कह रहा हूँ कि कुरआन में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि मासूमों को मारो…वहां लिखा है कि अत्याचारियों को मारो … ठीक वैसे जैसे गीता में लिखा है

  56. गरुणध्वज कहते हैं:

    >लो भाई ये तो फिर शुरू हो गए फिर से हमें कुरआन पढ़ने की शिक्षा दे रहें हैं |जो की ७ वी शताब्दी में लिखी गई थी |भई हम तो इन्हें नहीं कहते की हमारे धर्म ग्रन्थ पढो तथा उनके अनुसार चलो ………. हम तो कहते हैं की आधुनिक विचारधारा की ओर चलो और उसी के अनुसार कर्म करो |लेकिन ये तो अटके हुएँ है | 🙂 निहायत ही वाहियात कुतर्क जबरदस्ती थोप रहें हैं …….. एक पोस्ट में , दुसरे पोस्ट में जब नहीं जीत पाए तो तीसरी पोस्ट लिख कर जताना चाह रहे हैं ……….. हम नहीं सुधरेंगे |ऐसे लोगो के लिए एक ही मुहावरा काफी है "भैंस के आगे बीन बजाओ, भैंस खड़ी पगुराए "कितना भी तर्क रुपी बीन बजाओ वह करेगी तो कुतर्की गोबर ही गाय तो नहीं हो सकती न ………………?

  57. >कुछ लोग यह तर्क प्रस्तुत करते है कि सूअर का पालन पोषण अत्यंत साफ़ सुथरे ढंग से और स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए अनुकूल माहौल में किया जाता है| यह बात ठीक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनुकूल और स्वच्छ वातावरण में सूअरों को एक साथ उनके बाड़े में रखा जाता है| आप चाहे उन्हें स्वच्छ रखने की कितनी भी कोशिश करें परन्तु वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक रूप से उनके अन्दर गन्दगी पसंदी मौजूद रहती है| इसलिए वे अपने शरीर और अन्य सूअरों के शरीर से निकली गन्दगी का सेवन करने से भी नहीं चूकते.

  58. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >कुछ लोग यह तर्क प्रस्तुत करते है कि सूअर का पालन पोषण अत्यंत साफ़ सुथरे ढंग से और स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए अनुकूल माहौल में किया जाता है| यह बात ठीक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनुकूल और स्वच्छ वातावरण में सूअरों को एक साथ उनके बाड़े में रखा जाता है| आप चाहे उन्हें स्वच्छ रखने की कितनी भी कोशिश करें परन्तु वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक रूप से उनके अन्दर गन्दगी पसंदी मौजूद रहती है| इसलिए वे अपने शरीर और अन्य सूअरों के शरीर से निकली गन्दगी का सेवन करने से भी नहीं चूकते.

  59. गरुणध्वज कहते हैं:

    >आधुनिकता का मतलब जाइए कुरआन में खोजिये ……………शायद वहां भी ना मिले …….. 🙂

  60. गरुणध्वज कहते हैं:

    >आधुनिकता का मतलब जाइए कुरआन में खोजिये ……………शायद वहां भी ना मिले …….. 🙂

  61. Sneha कहते हैं:

    >सलीम जी,मेरी बातों का जवाब दिया नहीं आपने. छोडीये अगली पोस्ट – पिछली पोस्ट का चक्कर.और आपको मुझे कुछ सिद्ध करके दिखाने की जरूरत नहीं है. यदि आप गीता के इतने ही ज्ञाता हैं, तो अभी तक आपको समझ आ जाना चाहिये था कि, आप केवल अपने लिये कर्म करो दूसरों को दिखाने या समझाने के लिये नहीं. जो कर्म आप करेंगे उसका पाप-पुण्य आपको मिलेगा. दूसरों को पढाना बंद किजिये, अपने ज्ञान के चक्षु खोलिये. कहाँ अंधेरे में भटक रहे हैं.दीन-दुखियों, रोगीयों की सेवा कीजिये सलीम जी. इस संसार में मानव सेवा से बडा पुण्य कोई नहीं. कहाँ ये मांसाहार-सूअरों और दूसरे धर्मों की निन्दा के चक्कर में पडे हुए हो.

  62. Sneha कहते हैं:

    >सलीम जी,मेरी बातों का जवाब दिया नहीं आपने. छोडीये अगली पोस्ट – पिछली पोस्ट का चक्कर.और आपको मुझे कुछ सिद्ध करके दिखाने की जरूरत नहीं है. यदि आप गीता के इतने ही ज्ञाता हैं, तो अभी तक आपको समझ आ जाना चाहिये था कि, आप केवल अपने लिये कर्म करो दूसरों को दिखाने या समझाने के लिये नहीं. जो कर्म आप करेंगे उसका पाप-पुण्य आपको मिलेगा. दूसरों को पढाना बंद किजिये, अपने ज्ञान के चक्षु खोलिये. कहाँ अंधेरे में भटक रहे हैं.दीन-दुखियों, रोगीयों की सेवा कीजिये सलीम जी. इस संसार में मानव सेवा से बडा पुण्य कोई नहीं. कहाँ ये मांसाहार-सूअरों और दूसरे धर्मों की निन्दा के चक्कर में पडे हुए हो.

  63. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ सलीम खान आपने कहा ………"कुछ लोग यह तर्क प्रस्तुत करते है कि सूअर का पालन पोषण अत्यंत साफ़ सुथरे ढंग से और स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए अनुकूल माहौल में किया जाता है| यह बात ठीक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनुकूल और स्वच्छ वातावरण में सूअरों को एक साथ उनके बाड़े में रखा जाता है| आप चाहे उन्हें स्वच्छ रखने की कितनी भी कोशिश करें परन्तु वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक रूप से उनके अन्दर गन्दगी पसंदी मौजूद रहती है| इसलिए वे अपने शरीर और अन्य सूअरों के शरीर से निकली गन्दगी का सेवन करने से भी नहीं चूकते"यदि सही तरीके से देखा जाए तो मनुष्यों के अंदर भी उतनी ही गंदगी मौजूद रहती है |और सभी पशुओं में भी परजीवी रहते हैं |अब ऐसा तो हैं नहीं की अल्लाह ने उनके अन्दर अलग से गन्दगी भरी हो |तो जहाँ आप अन्य सभी को खा सकते हैं तो सूवर से परहेज़ क्यों भई ….. :)जहाँ तक बात मानसिक गन्दगी की हो तो इस मामले में अल्लाह दोषी हो रहा है की क्यों उसने सूवर के अन्दर ऐसी मानसिकता भरी ……….?

  64. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ सलीम खान आपने कहा ………"कुछ लोग यह तर्क प्रस्तुत करते है कि सूअर का पालन पोषण अत्यंत साफ़ सुथरे ढंग से और स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए अनुकूल माहौल में किया जाता है| यह बात ठीक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अनुकूल और स्वच्छ वातावरण में सूअरों को एक साथ उनके बाड़े में रखा जाता है| आप चाहे उन्हें स्वच्छ रखने की कितनी भी कोशिश करें परन्तु वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक रूप से उनके अन्दर गन्दगी पसंदी मौजूद रहती है| इसलिए वे अपने शरीर और अन्य सूअरों के शरीर से निकली गन्दगी का सेवन करने से भी नहीं चूकते"यदि सही तरीके से देखा जाए तो मनुष्यों के अंदर भी उतनी ही गंदगी मौजूद रहती है |और सभी पशुओं में भी परजीवी रहते हैं |अब ऐसा तो हैं नहीं की अल्लाह ने उनके अन्दर अलग से गन्दगी भरी हो |तो जहाँ आप अन्य सभी को खा सकते हैं तो सूवर से परहेज़ क्यों भई ….. :)जहाँ तक बात मानसिक गन्दगी की हो तो इस मामले में अल्लाह दोषी हो रहा है की क्यों उसने सूवर के अन्दर ऐसी मानसिकता भरी ……….?

  65. Nirmla Kapila कहते हैं:

    >सब से बडी बात ये है कि सूअर सब से गन्दा और घिनौना जानवर है क्या हएए काफी नहीं कि कोई इसे ना खाये? व

  66. निर्मला कपिला कहते हैं:

    >सब से बडी बात ये है कि सूअर सब से गन्दा और घिनौना जानवर है क्या हएए काफी नहीं कि कोई इसे ना खाये? व

  67. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ निर्मला कपिला जी आपकी बात एक दृष्टी से जायज है |परन्तु जहाँ तक सलीम खान का सवाल है ………. कल तक तो ये बहुत ढोल पीट रहे थे मांसाहार जायज़ है पर जब बात सूअर पर आ गई तो इन्होने तर्कों का हवाला देना शुरू कर दिया ………. केवल इसलिए की सूअर कुरआन में हराम है |भई सूअर न सही मानव मांस तो खा सकते तो हो न …………..? इसके बारे में कल एक नई पोस्ट लिख दें …………..?ब्लॉग की TRP बढ जायेगी ………. 🙂

  68. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ निर्मला कपिला जी आपकी बात एक दृष्टी से जायज है |परन्तु जहाँ तक सलीम खान का सवाल है ………. कल तक तो ये बहुत ढोल पीट रहे थे मांसाहार जायज़ है पर जब बात सूअर पर आ गई तो इन्होने तर्कों का हवाला देना शुरू कर दिया ………. केवल इसलिए की सूअर कुरआन में हराम है |भई सूअर न सही मानव मांस तो खा सकते तो हो न …………..? इसके बारे में कल एक नई पोस्ट लिख दें …………..?ब्लॉग की TRP बढ जायेगी ………. 🙂

  69. >निर्मला जी अपने सही कहा… आपकी एक बात इस पुरे लेख और पूरी टिप्पणियों पर भारी है…धन्यवाद

  70. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >निर्मला जी अपने सही कहा… आपकी एक बात इस पुरे लेख और पूरी टिप्पणियों पर भारी है…धन्यवाद

  71. ab inconvenienti कहते हैं:

    >मुर्गा भी कीडे मकोडे और गंदगी खाता है, और देसी मुर्गे तो एक्स्क्लुसिव्ली कचरे और कीडे मकोडों पर निर्भर रहते हैं…सफ़ेद सूअर से तो कम ही होती होगी. पोल्ट्री के मुर्गों को हारमोन और ओफ्फल (OFFAL) यानि लावारिस पशुओं की सड़ी लाशें और खाल, कीडे-कूड़ा खाने दिया जाता है.. क्या उन मुर्गों में गंद नहीं होती…. सफ़ेद सूअर से तो कम ही होती होगी. मुर्गा खाने में तो सफ़ेद सूअर खाने से ज्यादा खतरा है. चीन में सबसे अधिक पोर्क का सेवन होता है, तो दुनिया में सबसे ज्यादा बीमार और असाध्य रोगों के मरीज़ वहीँ होने चाहिए! क्यों?

  72. ab inconvenienti कहते हैं:

    >मुर्गा भी कीडे मकोडे और गंदगी खाता है, और देसी मुर्गे तो एक्स्क्लुसिव्ली कचरे और कीडे मकोडों पर निर्भर रहते हैं…सफ़ेद सूअर से तो कम ही होती होगी. पोल्ट्री के मुर्गों को हारमोन और ओफ्फल (OFFAL) यानि लावारिस पशुओं की सड़ी लाशें और खाल, कीडे-कूड़ा खाने दिया जाता है.. क्या उन मुर्गों में गंद नहीं होती…. सफ़ेद सूअर से तो कम ही होती होगी. मुर्गा खाने में तो सफ़ेद सूअर खाने से ज्यादा खतरा है. चीन में सबसे अधिक पोर्क का सेवन होता है, तो दुनिया में सबसे ज्यादा बीमार और असाध्य रोगों के मरीज़ वहीँ होने चाहिए! क्यों?

  73. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ ab inconvenientiभई कुछ भी हो ………. मुर्गे के लिए कुरआन में कोई प्रावधान नहीं है सो वह कितना भी अपवित्र हो, कितना भी घिनौना हो ……… लज़ीज़ और जायकेदार है …………..

  74. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ ab inconvenientiभई कुछ भी हो ………. मुर्गे के लिए कुरआन में कोई प्रावधान नहीं है सो वह कितना भी अपवित्र हो, कितना भी घिनौना हो ……… लज़ीज़ और जायकेदार है …………..

  75. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >KYA YAH MEDICALLY PROOVEN HAI KI MURGI SUWAR SE ZYADA GANDI HOTI HAI???

  76. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >कितने ही सटीक तर्क दे लो…, कितने ही सही प्रश्न पूछ लो, कितनी ही दिमाग की बातें करो… इधर कोई फ़ायदा नहीं होने वाला…

  77. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >कितने ही सटीक तर्क दे लो…, कितने ही सही प्रश्न पूछ लो, कितनी ही दिमाग की बातें करो… इधर कोई फ़ायदा नहीं होने वाला…

  78. Sneha कहते हैं:

    >@ सलीम जी ,यानि कोई भी चीज जो सूअर से कम गंदी होगी उसे खालोगे आप?

  79. Sneha कहते हैं:

    >@ सलीम जी ,यानि कोई भी चीज जो सूअर से कम गंदी होगी उसे खालोगे आप?

  80. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@सलीम खान मुर्गे की बात पर आप मेडिकल प्रमाणपत्र मांग रहे हो ………….जबकि सूअर के लिए आप कुराआन – कुराआन चिल्ला रहे थे ………..

  81. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@सलीम खान मुर्गे की बात पर आप मेडिकल प्रमाणपत्र मांग रहे हो ………….जबकि सूअर के लिए आप कुराआन – कुराआन चिल्ला रहे थे ………..

  82. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ स्नेहा जी सलीम खान जी खा लेंगे नहीं खा चुके हैं .. 🙂

  83. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ स्नेहा जी सलीम खान जी खा लेंगे नहीं खा चुके हैं .. 🙂

  84. khursheed कहते हैं:

    >भारत में तो सबसे ज्यादा सूअर हिन्दू ही खाते हैं.

  85. खुर्शीद अहमद कहते हैं:

    >भारत में तो सबसे ज्यादा सूअर हिन्दू ही खाते हैं.

  86. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ खुर्शीद जीआपकी जानकारी के लिए बता दूं केवल नीच जाती के हिन्दू ही सूअर (मांसाहार) खाते हैं |"क्या करे भाई एक ही देश में रहते हैं तो…………… संगत का असर पड़ना ही है |" 🙂

  87. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ खुर्शीद जीआपकी जानकारी के लिए बता दूं केवल नीच जाती के हिन्दू ही सूअर (मांसाहार) खाते हैं |"क्या करे भाई एक ही देश में रहते हैं तो…………… संगत का असर पड़ना ही है |" 🙂

  88. Mohammed Umar Kairanvi कहते हैं:

    >अरे किया थक गये, 50 कमेंटस होने चाहिये one day में इससे कम अच्छा result नहीं, अगर यह नहीं करेंगे मैं इसे 50 कर दूंगा, मुबारक हो, अपन तो फ्री है भाई जिधर गढा होता है गंदा पानी उधर ही जाता है, सलीम साहब नई पोस्ट लाओ वर्ना यह लोग ताज्रा हो जायेंगे, लगे रहो 55 मुल्कों की दुआऐं तुम्हारे साथ हैंRank-2 blogger

  89. Mohammed Umar Kairanvi कहते हैं:

    >अरे किया थक गये, 50 कमेंटस होने चाहिये one day में इससे कम अच्छा result नहीं, अगर यह नहीं करेंगे मैं इसे 50 कर दूंगा, मुबारक हो, अपन तो फ्री है भाई जिधर गढा होता है गंदा पानी उधर ही जाता है, सलीम साहब नई पोस्ट लाओ वर्ना यह लोग ताज्रा हो जायेंगे, लगे रहो 55 मुल्कों की दुआऐं तुम्हारे साथ हैंRank-2 blogger

  90. ab inconvenienti कहते हैं:

    >KYA YAH MEDICALLY PROOVEN HAI KI MURGI SUWAR SE ZYADA GANDI HOTI HAI???क्या यह मेडिकली प्रूवन है की सफ़ेद सूअर का पोर्क अन्य मांस से गन्दा है? मांस तो सभी गंदे हैं…. और मेडिकल प्रूफ़ की बात वह कर रहा है जो स्कूल की आउटडेटेड पाठ्यपुस्तकों के उद्धरण देता है! अगर रिफरेन्स और साईटेशंस देना हो तो नवीनतम और प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शोध परिणामों के दिया करो वो भी वैज्ञनिक या सम्बंधित संस्था के नाम और अन्य प्रासंगिक जानकारी के साथ. स्कूलों के पाठ्यक्रम में जो बातें है वो बच्चों को समझाने के लिए है, और ये पिछले २५-३० सालों से अपडेट नहीं हुई हैं. अगर पाठ्यपुस्तकों को उद्दृत करना ही है तो कम से कम मेडिकल या स्नातकोत्तर स्टार की पाठ्यपुस्तकों और जर्नलों से करो.

  91. ab inconvenienti कहते हैं:

    >KYA YAH MEDICALLY PROOVEN HAI KI MURGI SUWAR SE ZYADA GANDI HOTI HAI???क्या यह मेडिकली प्रूवन है की सफ़ेद सूअर का पोर्क अन्य मांस से गन्दा है? मांस तो सभी गंदे हैं…. और मेडिकल प्रूफ़ की बात वह कर रहा है जो स्कूल की आउटडेटेड पाठ्यपुस्तकों के उद्धरण देता है! अगर रिफरेन्स और साईटेशंस देना हो तो नवीनतम और प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शोध परिणामों के दिया करो वो भी वैज्ञनिक या सम्बंधित संस्था के नाम और अन्य प्रासंगिक जानकारी के साथ. स्कूलों के पाठ्यक्रम में जो बातें है वो बच्चों को समझाने के लिए है, और ये पिछले २५-३० सालों से अपडेट नहीं हुई हैं. अगर पाठ्यपुस्तकों को उद्दृत करना ही है तो कम से कम मेडिकल या स्नातकोत्तर स्टार की पाठ्यपुस्तकों और जर्नलों से करो.

  92. कुश कहते हैं:

    >मन डोले.. मेरा तन डोले.. मेरे दिल का गया करार रे.. कौन बजाये बाँसुरिया..तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. बीन बजा रहा हूँ.. जी..

  93. कुश कहते हैं:

    >मन डोले.. मेरा तन डोले.. मेरे दिल का गया करार रे.. कौन बजाये बाँसुरिया..तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. बीन बजा रहा हूँ.. जी..

  94. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >http://ghughutibasuti.blogspot.com/2009/08/blog-post.html सब लोग इसे देखें और फ़िर इस दुर्गन्धयुक्त मैले ब्लॉग पर आने का खयाल ही छूट जायेगा… 🙂

  95. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >http://ghughutibasuti.blogspot.com/2009/08/blog-post.html सब लोग इसे देखें और फ़िर इस दुर्गन्धयुक्त मैले ब्लॉग पर आने का खयाल ही छूट जायेगा… 🙂

  96. >शीघ्र ही मेरा लेख पढ़े… "जिहाद का आदेश भगवत गीता में भी"

  97. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >शीघ्र ही मेरा लेख पढ़े… "जिहाद का आदेश भगवत गीता में भी"

  98. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >कुरान के बारे में अधिक जानकारी के लिये देखें-१) Koran is the Answer to Terrorism of Muslimshttp://www.christiantoday.com/article/koran.is.the.answer.to.terrorism.of.muslims/329.htm२) UNHOLY QUOTES FROM THE KORAN THAT PROMOTE TERRORISM http://www.deceptioninthechurch.com/koran.html३) VIOLENCE IN THE KORAN AND THE BIBLE (very long, but, worthwile)http://www.freerepublic.com/focus/news/696408/posts

  99. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >कुरान के बारे में अधिक जानकारी के लिये देखें-१) Koran is the Answer to Terrorism of Muslimshttp://www.christiantoday.com/article/koran.is.the.answer.to.terrorism.of.muslims/329.htm२) UNHOLY QUOTES FROM THE KORAN THAT PROMOTE TERRORISM http://www.deceptioninthechurch.com/koran.html३) VIOLENCE IN THE KORAN AND THE BIBLE (very long, but, worthwile)http://www.freerepublic.com/focus/news/696408/posts

  100. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ सलीम खान क्यों मियाँ ab inconvenienti की तर्कों वाली बीन की आवाज़ भी नहीं सुनी जा रही थी …….. क्या ?जो इसे हटा दिया ………..या ये तुम्हारी घटिया सोच का प्रदर्शन है ………. ?या इसको भी कुरान में हराम बताया गया है ……………… ???

  101. गरुणध्वज कहते हैं:

    >@ सलीम खान क्यों मियाँ ab inconvenienti की तर्कों वाली बीन की आवाज़ भी नहीं सुनी जा रही थी …….. क्या ?जो इसे हटा दिया ………..या ये तुम्हारी घटिया सोच का प्रदर्शन है ………. ?या इसको भी कुरान में हराम बताया गया है ……………… ???

  102. गरुणध्वज कहते हैं:

    >लो ये तो फिर कुरान – कुरान पढ़ा रहे हैं वही हाल हुआ आखिर ………."भैंस के आगे बीन बजाओ, भैंस खड़ी पगुराए "मेरी भी बीन सुन लो तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. कान तो खोलो सुनाई नहीं दे रहा होगा …………..

  103. गरुणध्वज कहते हैं:

    >लो ये तो फिर कुरान – कुरान पढ़ा रहे हैं वही हाल हुआ आखिर ………."भैंस के आगे बीन बजाओ, भैंस खड़ी पगुराए "मेरी भी बीन सुन लो तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. कान तो खोलो सुनाई नहीं दे रहा होगा …………..

  104. khursheed कहते हैं:

    >@anunad SinghSwami Periyar ki Sachchi Ramayan Pado.

  105. चन्दन चौहान कहते हैं:

    > अधजल गगरी छलकत जाये इस्लाम में शराब पीना का मनाही नही है, गैरमुस्लिम से दोस्ती करने का मनाही नही है। तस्विर खीचवाने का मनाही नही है। और अपना तस्विर लगा रखे हो —— हा हा हा हा हा हाऔर बिमारी सिर्फ सुअर खाने से नही होता और भी कई चीजें खाने से होता है क्या अल्ला ने उसे मना नही किया। और जहाँ तक सुअर खाने के बारे में कह रहा है इसे नही पता है कि आखिर आदमी कौन सा सुअर खाता है। पहले पता करलो यार

  106. हमसफर कहते हैं:

    > अधजल गगरी छलकत जाये इस्लाम में शराब पीना का मनाही नही है, गैरमुस्लिम से दोस्ती करने का मनाही नही है। तस्विर खीचवाने का मनाही नही है। और अपना तस्विर लगा रखे हो —— हा हा हा हा हा हाऔर बिमारी सिर्फ सुअर खाने से नही होता और भी कई चीजें खाने से होता है क्या अल्ला ने उसे मना नही किया। और जहाँ तक सुअर खाने के बारे में कह रहा है इसे नही पता है कि आखिर आदमी कौन सा सुअर खाता है। पहले पता करलो यार

  107. haal-ahwaal कहते हैं:

    >pichhle dino ek khabar padhi thi :- hindustan ke jyadatar musalman (80 per cent se jyada) kuchh peedhiyo'n yaani kuchh sau salo'n pehle tak hindu huwa karte the. ye wo musalmaan wo hain jo mughlo'n ke raaj me jabaran dharm parivartan ke chalte aaj hindu nahi hain.- kisi government (secular) agency ke hawale se ye khabar aayee thi.- ab haalat ye hai ki asli musalmano se ye khud ko jyada kattar saabit karne me lage hain.- haram aur halal ko hamesha kuran ki nazro se dekhne band kijiye. kayee maamlo'n me to aap kar rahe hain. jaise tasweer khinchana…kaaba ki photo ghar me lagana etc-etc.- har baat me faisla lene ke liye kisi kitab ki oor dekhne se baat nahi banegi. ye kitabe'n hi hain jo jhagde ki jad hain. kahi-kahi sahaj manav buddhi aur bhavnao se bhi kaam le liya kare'n.

  108. haal-ahwaal कहते हैं:

    >pichhle dino ek khabar padhi thi :- hindustan ke jyadatar musalman (80 per cent se jyada) kuchh peedhiyo'n yaani kuchh sau salo'n pehle tak hindu huwa karte the. ye wo musalmaan wo hain jo mughlo'n ke raaj me jabaran dharm parivartan ke chalte aaj hindu nahi hain.- kisi government (secular) agency ke hawale se ye khabar aayee thi.- ab haalat ye hai ki asli musalmano se ye khud ko jyada kattar saabit karne me lage hain.- haram aur halal ko hamesha kuran ki nazro se dekhne band kijiye. kayee maamlo'n me to aap kar rahe hain. jaise tasweer khinchana…kaaba ki photo ghar me lagana etc-etc.- har baat me faisla lene ke liye kisi kitab ki oor dekhne se baat nahi banegi. ye kitabe'n hi hain jo jhagde ki jad hain. kahi-kahi sahaj manav buddhi aur bhavnao se bhi kaam le liya kare'n.

  109. haal-ahwaal कहते हैं:

    >mere ek dost KURBANI ke baare me aksar ek sawal karte hain :kya hota agar KURBANI dete waqt chhure ke neeche bachche ki jagah BAKRA nahi aa gaya hota to????kya aaj bhi musalmaan BAKRE ki jagah bachche ki kurbani dete????kripya iss mudde par prakash dalne ki kripa kare'n.

  110. haal-ahwaal कहते हैं:

    >mere ek dost KURBANI ke baare me aksar ek sawal karte hain :kya hota agar KURBANI dete waqt chhure ke neeche bachche ki jagah BAKRA nahi aa gaya hota to????kya aaj bhi musalmaan BAKRE ki jagah bachche ki kurbani dete????kripya iss mudde par prakash dalne ki kripa kare'n.

  111. dhiru singh {धीरू सिंह} कहते हैं:

    >जिसने न खाया सूरावह कैसा हिन्दू पूरा ऐसा सूअर खाने वाले लोग कहते है

  112. dhiru singh {धीरू सिंह} कहते हैं:

    >जिसने न खाया सूरावह कैसा हिन्दू पूरा ऐसा सूअर खाने वाले लोग कहते है

  113. Mohd कहते हैं:

    >bhaiyon ab bhi waqt he, sanbhl jao aur pehchano sachha rasta kaun sa he..

  114. Mohd कहते हैं:

    >bhaiyon ab bhi waqt he, sanbhl jao aur pehchano sachha rasta kaun sa he..

  115. mythbuster कहते हैं:

    >सलीम भाई,पहली बार आपके ब्लॉग पर आया, लगभग सभी पोस्ट पढीं, एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि आप अपनी सोच का दायरा बढ़ाओ.मैं एक डॉक्टर हूँ, अक्सर ऐसा होता है कि अनपढ़ मरीज मेरे लाख समझाने पर भी अपने रोग के बारे में नहीं समझ पाता क्योंकि जो मैं बता रहा होता हूं वह उसकी सोच के दायरे के बाहर होता है.अगर आप अपने दिमाग को खुला रखें,पूर्वाग्रहों से दूर रहें, तर्क का प्रयोग करें तथा निष्कर्ष निकालें तो जो सत्य निकलेगा वह ये है."ईश्वर जैसी कोई चीज दुनिया में नहीं है.तमाम धर्म,उपासना पद्धतियां,धर्म ग्रन्थ,परंपरायें आदि अपने अपने समय के चालाक इन्सानों के दिमाग की उपज हैं.इनमें से कुछ ने अपने लिखे/कहे की सर्वमान्यता के लिये या तो यह कहा कि वो ईश्वर के दूत हैं या यह कहा कि जो उन्होंने कहा या लिखा है वो ईश्वर ने उनके दिमाग में उतारा है ताकि उन्हें कोई चुनौती न मिले.बहरहाल जो कुछ भी ये महानुभाव बोल या लिख गये आज के युग के हमारे ज्ञान के प्रकाश में वह सब अप्रासंगिक हो गया है."to sum it all up "THERE IS DEFINITELY NO GOD,SO STOP ARGUING AND GET ON WITH LIFE AS IT UNFOLDS." remember you get only one life therefore i suggest you live it to the fullest.As for me I enjoy my whiskey, sausages(pork), ham(beef)& paneer too. LONG LIVE RELIGION,MAY THE IGNORANCE LIVE LONGER THAN THAT.Cheers!!!

  116. mythbuster कहते हैं:

    >सलीम भाई,पहली बार आपके ब्लॉग पर आया, लगभग सभी पोस्ट पढीं, एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि आप अपनी सोच का दायरा बढ़ाओ.मैं एक डॉक्टर हूँ, अक्सर ऐसा होता है कि अनपढ़ मरीज मेरे लाख समझाने पर भी अपने रोग के बारे में नहीं समझ पाता क्योंकि जो मैं बता रहा होता हूं वह उसकी सोच के दायरे के बाहर होता है.अगर आप अपने दिमाग को खुला रखें,पूर्वाग्रहों से दूर रहें, तर्क का प्रयोग करें तथा निष्कर्ष निकालें तो जो सत्य निकलेगा वह ये है."ईश्वर जैसी कोई चीज दुनिया में नहीं है.तमाम धर्म,उपासना पद्धतियां,धर्म ग्रन्थ,परंपरायें आदि अपने अपने समय के चालाक इन्सानों के दिमाग की उपज हैं.इनमें से कुछ ने अपने लिखे/कहे की सर्वमान्यता के लिये या तो यह कहा कि वो ईश्वर के दूत हैं या यह कहा कि जो उन्होंने कहा या लिखा है वो ईश्वर ने उनके दिमाग में उतारा है ताकि उन्हें कोई चुनौती न मिले.बहरहाल जो कुछ भी ये महानुभाव बोल या लिख गये आज के युग के हमारे ज्ञान के प्रकाश में वह सब अप्रासंगिक हो गया है."to sum it all up "THERE IS DEFINITELY NO GOD,SO STOP ARGUING AND GET ON WITH LIFE AS IT UNFOLDS." remember you get only one life therefore i suggest you live it to the fullest.As for me I enjoy my whiskey, sausages(pork), ham(beef)& paneer too. LONG LIVE RELIGION,MAY THE IGNORANCE LIVE LONGER THAN THAT.Cheers!!!

  117. राजाभाई कौशिक कहते हैं:

    >जैसा खाये अन्न वैसा होय् मन

  118. राजाभाई कौशिक कहते हैं:

    >जैसा खाये अन्न वैसा होय् मन

  119. उम्दा सोच कहते हैं:

    >अगर तुम मानते हो इस्लाम इस देश में बड़ी कॉम है तो मुसलमानों से कहो खुद को अल्पसंख्यक कहना बंद करे !!मुसलमान पहले तो इस्लाम के नाम पर अलग देश मांग चुके है अब सारे मांग नाजायज़ है ,जिसे सब इस्लाम के मुताबिक चाहिए वो जाए पाकिस्तान जा के बस जाए ,वहा सब सरियत के मुताबिक मिलेगा !!!या फिर एक काम करो …शरियत के मुताबिक चार शादी का हक़ चाहिए तुम्हे , और वन्दे मातरम भी तुम्हे गवारा नहीं तो सज़ा वाले मामले में क्यों शरियत की मांग नहीं करते हो क्यों नहीं कहते हो जो मुसलमान चोरी करते पकडा जाए उसके दोनों हाथ कलाई से काट दो ??? ,साउदी वाला कानून मांगो अपने लिए अगर तुम दोगले नहीं हो तो ??? नसबंदी तुम्हे मंज़ूर नहीं अल्लाह ने कहा है "तागैयल खल्द उलाह " यानी अल्लाह की बनावट से छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए,तो बवासीर और हार्निया का ओपरेशन,बाईपास सर्जरी और सिजेरियन डेलेवेरी क्यों करवाते हो ?यानि फ़ायदा जहा होगा तुम्हारा वहा सिर्फ बाप को बाप बोलोगे ,जहा नुकसान होता दिखे तुंरत पडोसी का हाथ थाम कर पापा पापा बोल के झूलने लगोगे !ज़ाकिर फर्जी है! इस विडियो में देखो सूअर खाने वालो के डिजाइन के कपडे पहने है और तो और देखो पैंट भी एड्हियो तक लम्बी है मै शुरू से कह रहा हूँ के वो ईमान का मुकम्मल है ही नहीं आज अंग्रेजी कपडे पहने दिख रहा है ज़रूर गोस्त भी अंग्रेजो वाले खाता होगा,छुप कर ज़रूर हरकत भी वही करता होगा

  120. उम्दा सोच कहते हैं:

    >अगर तुम मानते हो इस्लाम इस देश में बड़ी कॉम है तो मुसलमानों से कहो खुद को अल्पसंख्यक कहना बंद करे !!मुसलमान पहले तो इस्लाम के नाम पर अलग देश मांग चुके है अब सारे मांग नाजायज़ है ,जिसे सब इस्लाम के मुताबिक चाहिए वो जाए पाकिस्तान जा के बस जाए ,वहा सब सरियत के मुताबिक मिलेगा !!!या फिर एक काम करो …शरियत के मुताबिक चार शादी का हक़ चाहिए तुम्हे , और वन्दे मातरम भी तुम्हे गवारा नहीं तो सज़ा वाले मामले में क्यों शरियत की मांग नहीं करते हो क्यों नहीं कहते हो जो मुसलमान चोरी करते पकडा जाए उसके दोनों हाथ कलाई से काट दो ??? ,साउदी वाला कानून मांगो अपने लिए अगर तुम दोगले नहीं हो तो ??? नसबंदी तुम्हे मंज़ूर नहीं अल्लाह ने कहा है "तागैयल खल्द उलाह " यानी अल्लाह की बनावट से छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए,तो बवासीर और हार्निया का ओपरेशन,बाईपास सर्जरी और सिजेरियन डेलेवेरी क्यों करवाते हो ?यानि फ़ायदा जहा होगा तुम्हारा वहा सिर्फ बाप को बाप बोलोगे ,जहा नुकसान होता दिखे तुंरत पडोसी का हाथ थाम कर पापा पापा बोल के झूलने लगोगे !ज़ाकिर फर्जी है! इस विडियो में देखो सूअर खाने वालो के डिजाइन के कपडे पहने है और तो और देखो पैंट भी एड्हियो तक लम्बी है मै शुरू से कह रहा हूँ के वो ईमान का मुकम्मल है ही नहीं आज अंग्रेजी कपडे पहने दिख रहा है ज़रूर गोस्त भी अंग्रेजो वाले खाता होगा,छुप कर ज़रूर हरकत भी वही करता होगा

  121. उम्दा सोच कहते हैं:

    >अगर सूअर खा कर सूअर सी सोच होती है तो एक काम करो कुत्ते का गोस्त खाना शुरू करो देखो कुत्ता मालिक का कितना वफादार होता है आदत तुममे भी आएगी !भैस खा कर भैसे जैसी सोच होगीही !बीच सड़क पर चलेंगे चाहे जितनी हार्न बजाओ फरक नहीं पडेगा, पिछवाडे पे जोर से मारो तब भागेंगे दुम दबा कर !वैसे गधे का मॉस खाने के बारे में आप की किताब में क्या कुछ लिखा है ज़रा ताफ्सीनी से बताईये !khursheed ने कहा…भारत में तो सबसे ज्यादा सूअर हिन्दू ही खाते हैं@khursheed आप को कैसे पता? आप ही रोज़ सबको सूअर का मॉस सप्लाई करते हो ?या सुबह जब सब मैदान जाते है आप सबकी सूंघते हो ?Mohammed Umar Kairanvi ने कहा… लगे रहो 55 मुल्कों की दुआऐं तुम्हारे साथ हैं!@Mohammed Umar Kairanvi 55 मुल्क क्या भला कर पायेंगे सलीम का ?जब अमरीका इराक़ ,अफगानिस्तान,पाकिस्तान में रह रहे तुम्हारे भाइयो( आतंकवादियों ) को लाइन में खडा कर उनकी तशरीफ़ गोलियों से छलनी बना रहा है तब ये 55 मुल्क क्या बेली डांस कर रहे है ? ऐसे ही ये 55 मुल्क सलीम खान के लिए भी बेली डांस करेंगे !Mohd ने कहा…bhaiyon ab bhi waqt he, sanbhl jao aur pehchano sachha rasta kaun sa he.. @ Mohd साहब उम्मीद है आप ये सलीम खान और Mohammed Umar Kairanvi को समझा रहे है !

  122. उम्दा सोच कहते हैं:

    >अगर सूअर खा कर सूअर सी सोच होती है तो एक काम करो कुत्ते का गोस्त खाना शुरू करो देखो कुत्ता मालिक का कितना वफादार होता है आदत तुममे भी आएगी !भैस खा कर भैसे जैसी सोच होगीही !बीच सड़क पर चलेंगे चाहे जितनी हार्न बजाओ फरक नहीं पडेगा, पिछवाडे पे जोर से मारो तब भागेंगे दुम दबा कर !वैसे गधे का मॉस खाने के बारे में आप की किताब में क्या कुछ लिखा है ज़रा ताफ्सीनी से बताईये !khursheed ने कहा…भारत में तो सबसे ज्यादा सूअर हिन्दू ही खाते हैं@khursheed आप को कैसे पता? आप ही रोज़ सबको सूअर का मॉस सप्लाई करते हो ?या सुबह जब सब मैदान जाते है आप सबकी सूंघते हो ?Mohammed Umar Kairanvi ने कहा… लगे रहो 55 मुल्कों की दुआऐं तुम्हारे साथ हैं!@Mohammed Umar Kairanvi 55 मुल्क क्या भला कर पायेंगे सलीम का ?जब अमरीका इराक़ ,अफगानिस्तान,पाकिस्तान में रह रहे तुम्हारे भाइयो( आतंकवादियों ) को लाइन में खडा कर उनकी तशरीफ़ गोलियों से छलनी बना रहा है तब ये 55 मुल्क क्या बेली डांस कर रहे है ? ऐसे ही ये 55 मुल्क सलीम खान के लिए भी बेली डांस करेंगे !Mohd ने कहा…bhaiyon ab bhi waqt he, sanbhl jao aur pehchano sachha rasta kaun sa he.. @ Mohd साहब उम्मीद है आप ये सलीम खान और Mohammed Umar Kairanvi को समझा रहे है !

  123. ashutoshdeexit कहते हैं:

    >क्या हराम है और क्या जायज़ , इसका फैसला वैज्ञानिकों पर छोड़ दें तो ही ठीक होगा. सातवीं सदी का एक योद्धा सभी विषयों का ज्ञाता हो, ऐसा संभव नहीं है. आजकल जैसे हर मर्ज़ की दवा बाबा रामदेव और आसाराम बापू के पास है, वैसे ही सार्थक जीवन की चाभी कुर-आन में छिपी है. मेरे एक मुस्लिम मित्र एक शेर सुनाते हैं जो मैं यहाँ बिलकुल सटीक पता हूँ…"ज़िन्दगी तश्नो-काम हो जाती, हसरतों की गुलाम हो जाती,यह तो कहिये अरब में चाय न थी, वर्ना वोह भी हराम हो जाती..

  124. ashutoshdeexit कहते हैं:

    >क्या हराम है और क्या जायज़ , इसका फैसला वैज्ञानिकों पर छोड़ दें तो ही ठीक होगा. सातवीं सदी का एक योद्धा सभी विषयों का ज्ञाता हो, ऐसा संभव नहीं है. आजकल जैसे हर मर्ज़ की दवा बाबा रामदेव और आसाराम बापू के पास है, वैसे ही सार्थक जीवन की चाभी कुर-आन में छिपी है. मेरे एक मुस्लिम मित्र एक शेर सुनाते हैं जो मैं यहाँ बिलकुल सटीक पता हूँ…"ज़िन्दगी तश्नो-काम हो जाती, हसरतों की गुलाम हो जाती,यह तो कहिये अरब में चाय न थी, वर्ना वोह भी हराम हो जाती..

  125. harish singh कहते हैं:

    >salim bhai aapke kayee lekho ko maine padha hai. nishchay hi aapki soch umda rahti hai. aapke lekh baat san 1970 ki hai main apne akhbar me prakashit bhi kiya tha. aapke photo sahit. ek baat kahni hai. hamara vikas tabhi ho sakta hai jab samay aur paristhitiyo ke anusar khud ko badle. jab bhi dharm par bahas hoto hai to nishchay hi yuddh ka sriganesh hota hai. hame aane wali pidhi ke baare me sochna hai to dharm nahi balki desh,samaj ke baare me soche. hame sochna hoga ki samaj se dharm,jati ki ladai kaise band ho. ham sabhi khud ko dusre se bada samjhte hai. yahi hamri bhool hai. dharm ko se pare hokar dekhe to aapke lekh bahut hi achchhe hote hain. maine sabhi post[logoke vichar] sab log kahi na kahi andar se kamjor hain. usme aap bhi shamil ho gaye. harish singh 7860754250

  126. harish singh कहते हैं:

    >salim bhai aapke kayee lekho ko maine padha hai. nishchay hi aapki soch umda rahti hai. aapke lekh baat san 1970 ki hai main apne akhbar me prakashit bhi kiya tha. aapke photo sahit. ek baat kahni hai. hamara vikas tabhi ho sakta hai jab samay aur paristhitiyo ke anusar khud ko badle. jab bhi dharm par bahas hoto hai to nishchay hi yuddh ka sriganesh hota hai. hame aane wali pidhi ke baare me sochna hai to dharm nahi balki desh,samaj ke baare me soche. hame sochna hoga ki samaj se dharm,jati ki ladai kaise band ho. ham sabhi khud ko dusre se bada samjhte hai. yahi hamri bhool hai. dharm ko se pare hokar dekhe to aapke lekh bahut hi achchhe hote hain. maine sabhi post[logoke vichar] sab log kahi na kahi andar se kamjor hain. usme aap bhi shamil ho gaye. harish singh 7860754250

  127. Anonymous कहते हैं:

    >Roberto Balan Suar khane ki pairvi karne walo ke ghar ka koi na koi banda is business me hai isliye ye log suar khane ki pairvi kar rahe hai.magar Ai suar ke………. vayapar karne walo (parvi karne walo) jis ka naam lene hi islam me bura ho us ko khaya kaise ja sakta hai

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