स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़

आइकन

सलीम खान का एक छोटा सा प्रयास

>हर मुसलमान को आतंकवादी होना चाहिए. (Every Muslim should be Terrorist)

>आतंकवादी वह व्यक्ति होता है जो आतंक (भय) का कारण हो. जिसके आतंक अथवा भय से दूसरा डरे. एक चोर जब एक पुलिस वाले को देखता है तो उसे भय होता है. पुलिस वाला चोर की नज़र में आतंकवादी है. उसी तरह से हर एक मुस्लिम को असामाजिक तत्वों के लिए आतंकवादी ही होना चाहिए, मिसाल के तौर पर हर एक मुस्लिम को आतंक का पर्याय होना चाहिए, उनके लिए जो चोर हैं, डाकू हैं, बलात्कारी हैं…


जब कभी उपरोक्त क़िस्म के असामाजिक तत्व किसी मुसलमान को देखें तो उनके मन-मष्तिष्क में आतंक का संचार हो. हालाँकि यह सत्य है कि “आतंकवादी” शब्द सामान्यतया उसके लिए इस्तेमाल किया जाता है जो जन-सामान्य में आतंक का कारण हो लेकिन एक सच्चे मुसलमान के लिए चाहिए कि वह आतंक का कारण बनें, चुनिन्दा लोगों के लिए जैसे असामाजिक तत्व ना कि निर्दोष के लिए. वास्तव में एक मुसलमान को जन-सामान्य के लिए शांति का पर्याय होना चाहिए.

एक ही व्यक्ति, एक ही कार्य के लिए दो अलग-अलग लेबल (पैमाना) i.e. आतंकवादी और देशभक्त
भारत को जब फिरंगियों से आज़ादी नहीं मिली थी तब भारत देश को आज़ाद कराने के लिए लड़ने वालों को ब्रिटिश सरकार आतंकवादी कहती थी. उन्हीं लोगो को उसी कार्य के लिए भारतीय देश भक्त कहते थे. इस प्रकार एक ही कार्य के लिए, एक ही व्यक्ति के लिए दो अलग-अलग लेबल (पैमाना) हुआ. एक उन्हें आतंकवादी कह रहा है तो दूसरा देश भक्त. जो भारत पर ब्रिटिश हुकुमत के समर्थन में हैं वे उन्हें आतंकवादी ही मानते हैं वहीँ जो भारत पर ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ़ थे वे उन्हें देश भक्त या स्वतंत्रता सेनानी मानते हैं.


बहुत महत्वपूर्ण है किसी के बारे में इंसाफ करने से पहले या उसके बारे में राय कायम करने से पहले उसे स्वस्थ ह्रदय से सुना जाये, जाना जाये. दोनों तरह के तर्कों को सुना समझा जाये, हालातों को विश्लेषित किया जाये. उसके कृत्य के कारण और इरादे को भली प्रकार समझा और महसूस किया जाये, तब जाकर उसके बारे में राय कायम की जाये.

इस्लाम का अर्थ “शांति” होता है.

इस्लाम शब्द का उद्भव अरबी के “सलाम” शब्द से हुआ है जिसका अर्थ होता है “शांति”.यह शांति का धर्म है और हर मुसलमान को चाहिए कि वह इस्लाम के बुनियादी (fundamentals) ढांचें को माने और जाने और उस पर अमल करे और पूरी दुनिया में इसके महत्व को बताये. इस प्रकार हर मुस्लिम को इस्लाम के मौलिक (fundamentals) कर्तव्यों का पालन करते हुए fundamentalist होना चाहिए और terrorist* होना चाहिए.

सलीम खान

Filed under: मुसलमान

116 Responses

  1. shubhi कहते हैं:

    >इस्लाम का अर्थ अगर शांति नहीं होता तो इसमें राबिया जैसी हस्ती का हो पाना संभव नहीं होता और बुल्ले शाह भी नहीं हुए होते न खुसरो होते और नही दाराशिकोह क्योंकि दुनिया का हर मजहब आश्चर्यजनक रूप से केवल एक ही संदेश देता है इस महान प्रकृति को समझो और इसे दूसरों के लिए भी प्रेषित करो। मजहबी सही मायने में वह होता है जो दूसरे धर्मों की इज्जत करता है क्योंकि वह आस्था का सही अर्थ हृदय से जान चुका होता है बाकी तो हिंदू हों या मुसलमान दोजख में ही जाते हैं भले ही इस धरती पर स्वर्गिक सूख भोगते हों। इस बहस की शुरूआत के लिए धन्यवाद

  2. shubhi कहते हैं:

    >इस्लाम का अर्थ अगर शांति नहीं होता तो इसमें राबिया जैसी हस्ती का हो पाना संभव नहीं होता और बुल्ले शाह भी नहीं हुए होते न खुसरो होते और नही दाराशिकोह क्योंकि दुनिया का हर मजहब आश्चर्यजनक रूप से केवल एक ही संदेश देता है इस महान प्रकृति को समझो और इसे दूसरों के लिए भी प्रेषित करो। मजहबी सही मायने में वह होता है जो दूसरे धर्मों की इज्जत करता है क्योंकि वह आस्था का सही अर्थ हृदय से जान चुका होता है बाकी तो हिंदू हों या मुसलमान दोजख में ही जाते हैं भले ही इस धरती पर स्वर्गिक सूख भोगते हों। इस बहस की शुरूआत के लिए धन्यवाद

  3. बालसुब्रमण्यम कहते हैं:

    >सूफी संतों ने इस्लाम के इसी शांति वाले स्वरूप को पहचाना था और उसका प्रचार किया था। लोगों ने भी उन्हें खूब सराहा। इसका प्रमाण है हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों द्वारा इन सूफी संतों का अपनाया जाना। पर कट्टरपंथियों ने इस सूफियों पर भी खूब अत्याचार किए।ये सूफी संत इस्लाम और वेदांत के समान अंशों को रेखांकित कर रहे थे, और इस तरह इन दोनों धर्मों की दूरियों को मिटा रहे थे।अपने लेखों में सूफी विचारधारा पर भी कुछ लिखें।

  4. बालसुब्रमण्यम कहते हैं:

    >सूफी संतों ने इस्लाम के इसी शांति वाले स्वरूप को पहचाना था और उसका प्रचार किया था। लोगों ने भी उन्हें खूब सराहा। इसका प्रमाण है हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों द्वारा इन सूफी संतों का अपनाया जाना। पर कट्टरपंथियों ने इस सूफियों पर भी खूब अत्याचार किए।ये सूफी संत इस्लाम और वेदांत के समान अंशों को रेखांकित कर रहे थे, और इस तरह इन दोनों धर्मों की दूरियों को मिटा रहे थे।अपने लेखों में सूफी विचारधारा पर भी कुछ लिखें।

  5. Sachi कहते हैं:

    >Don´t woory, there are many, and thanks to you there would be many more!!!

  6. Sachi कहते हैं:

    >Don´t woory, there are many, and thanks to you there would be many more!!!

  7. Shiv कहते हैं:

    >आपकी फोटू बहुत बढ़िया है.अच्छी फोटू पोस्ट करने के लिए बधाई.

  8. Shiv Kumar Mishra कहते हैं:

    >आपकी फोटू बहुत बढ़िया है.अच्छी फोटू पोस्ट करने के लिए बधाई.

  9. कुश कहते हैं:

    >वाह क्या फोटू लगायी है आपने.. बहुत खूब..

  10. कुश कहते हैं:

    >वाह क्या फोटू लगायी है आपने.. बहुत खूब..

  11. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >सूफी लोगों ने जो सन्देश फैलाये वह सब इस्लाम कि रौशनी में थे….लेकिन कालांतर में उन्ही सूफियों को लोगों ने ईश्वर का साझी ठहरा दिया…

  12. >सूफी लोगों ने जो सन्देश फैलाये वह सब इस्लाम कि रौशनी में थे….लेकिन कालांतर में उन्ही सूफियों को लोगों ने ईश्वर का साझी ठहरा दिया…

  13. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >जिहाद का सही अर्थ इसाइयों को बहुत पहले समझ में आ गया था। उन्होने इस रोग की बड़ी कारगर दवा खोज निकाली – क्रूसेड । वस्तुत: यह मियां की जूती मियां का सिर वाला काम था जिसने धर्मान्ध मुसलमानों को अच्छा पाठ पढ़ाया। हिन्दू लोग 'हिंसा परमो धर्म:' को अक्षरश: मानते रहे और जिहाद का कोई कारगर हल नहीं निकाल पाये। जिसका परिणाम हुआ कि भारत की सीमाएं लगातार सिकुड़तीं चली गयीं।आधुनिक परिप्रेक्ष्य में जिहाद को समझना हो तो डेनियल पाइप्स के लेखों को अवश्य पढ़िये।-http://hi.danielpipes.org/article/2862

  14. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >जिहाद का सही अर्थ इसाइयों को बहुत पहले समझ में आ गया था। उन्होने इस रोग की बड़ी कारगर दवा खोज निकाली – क्रूसेड । वस्तुत: यह मियां की जूती मियां का सिर वाला काम था जिसने धर्मान्ध मुसलमानों को अच्छा पाठ पढ़ाया। हिन्दू लोग 'हिंसा परमो धर्म:' को अक्षरश: मानते रहे और जिहाद का कोई कारगर हल नहीं निकाल पाये। जिसका परिणाम हुआ कि भारत की सीमाएं लगातार सिकुड़तीं चली गयीं।आधुनिक परिप्रेक्ष्य में जिहाद को समझना हो तो डेनियल पाइप्स के लेखों को अवश्य पढ़िये।-http://hi.danielpipes.org/article/2862

  15. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >सुना है इस्लाम में मूर्तिपूजा वर्जित है। ये फोटो खिंचाना और उसे घर की दीवार या ब्लाग पर लगाना कुफ्र है। क्यों कुरान की बात नहीं मानते?

  16. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >सुना है इस्लाम में मूर्तिपूजा वर्जित है। ये फोटो खिंचाना और उसे घर की दीवार या ब्लाग पर लगाना कुफ्र है। क्यों कुरान की बात नहीं मानते?

  17. Ali G कहते हैं:

    >इस्लाम के बारे में अच्छी बातें सामने लाने का शुक्रिया. अल्लाह आपपर करम बनाए रखे. हर सच्चे मुस्लमान को कोशिश करनी चाहिए की वह कुरान का जितना हो सके पालन करे. par आपकी फोटो देखकर एक सवाल पूछने को जी कर रहा है, हर सच्चे मुसलमान मर्द को कम से कम मुट्ठी भर लम्बी दाढ़ी रखना ज़ुरूरी है. आपने दाढ़ी नहीं रखी? आप सच्चे मुस्लमान नहीं हैं? या आपकी नज़र में दाढ़ी ज़ुरूरी नहीं है?नादानी में गलतियाँ नज़रंदाज़ की जा सकती हैं पर आप तो काफी कुछ जानते हैं फिर भी?

  18. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >अनुनाद जी से पूरी – पूरी सहमती …." मियां की जूती मियां के सर " वाला समीकरण ही ठीक है इनके लिए , वैसे भी इन लोगों को धर्म और अपराध के मनोविज्ञान की समझ तो है नहीं, अतः आतंकवाद की ही भाषा समझते और समझाते रहते हैं |वैसे हमें भी समझ में आ गया है अतः इन जेहादियों के लिए अब हम यमदूतों से कम नहीं ………………..सत्यमेव जयते ||

  19. Ali G कहते हैं:

    >इस्लाम के बारे में अच्छी बातें सामने लाने का शुक्रिया. अल्लाह आपपर करम बनाए रखे. हर सच्चे मुस्लमान को कोशिश करनी चाहिए की वह कुरान का जितना हो सके पालन करे. par आपकी फोटो देखकर एक सवाल पूछने को जी कर रहा है, हर सच्चे मुसलमान मर्द को कम से कम मुट्ठी भर लम्बी दाढ़ी रखना ज़ुरूरी है. आपने दाढ़ी नहीं रखी? आप सच्चे मुस्लमान नहीं हैं? या आपकी नज़र में दाढ़ी ज़ुरूरी नहीं है?नादानी में गलतियाँ नज़रंदाज़ की जा सकती हैं पर आप तो काफी कुछ जानते हैं फिर भी?

  20. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >अनुनाद जी से पूरी – पूरी सहमती …." मियां की जूती मियां के सर " वाला समीकरण ही ठीक है इनके लिए , वैसे भी इन लोगों को धर्म और अपराध के मनोविज्ञान की समझ तो है नहीं, अतः आतंकवाद की ही भाषा समझते और समझाते रहते हैं |वैसे हमें भी समझ में आ गया है अतः इन जेहादियों के लिए अब हम यमदूतों से कम नहीं ………………..सत्यमेव जयते ||

  21. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >अली जी, दाढ़ी के मुताल्लिक़ आपके सवाल का जवाब देना मैं इसलिए ज़रूरी समझता हूँ क्यूंकि आपके लिए बहुत ज़रूरी है कि आखिर दाढ़ी केलिए इसलाम क्या कहता है?दाढ़ी हमारे रसूल (स.अ.व.) ने रखी थी और इसीलिए हम मुसलामानों के लिए यह होना चाहिए कि वह दाढ़ी रखे. थोड़ा आगे जाने से पहले मैं यह बताना चाहता हूँ कि इस्लाम में दाढ़ी के मुताल्लिक़ फ़र्ज़ होना कहीं भी वाकेय नहीं है, यह एक सुन्नत है. (सुन्नत मतलब वह क्रिया जो हमारे रसूल स.व.अ. ने किया था)

  22. >अली जी, दाढ़ी के मुताल्लिक़ आपके सवाल का जवाब देना मैं इसलिए ज़रूरी समझता हूँ क्यूंकि आपके लिए बहुत ज़रूरी है कि आखिर दाढ़ी केलिए इसलाम क्या कहता है?दाढ़ी हमारे रसूल (स.अ.व.) ने रखी थी और इसीलिए हम मुसलामानों के लिए यह होना चाहिए कि वह दाढ़ी रखे. थोड़ा आगे जाने से पहले मैं यह बताना चाहता हूँ कि इस्लाम में दाढ़ी के मुताल्लिक़ फ़र्ज़ होना कहीं भी वाकेय नहीं है, यह एक सुन्नत है. (सुन्नत मतलब वह क्रिया जो हमारे रसूल स.व.अ. ने किया था)

  23. safat alam taimi कहते हैं:

    >अनुनाद सिंह साहिब! जी हाँ इस्लाम में मूर्ति-पूजा वर्जित है,औऱ इस्लाम यह भी नहीं चाहता कि मानव फोटो को इतना महत्व देने लगे कि उसको पूज्य ही मान ले। जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। केवल इस्लाम ही एक ऐसा धर्म है जो स्वच्छ एकेश्वरवादी धर्म है और यही तथ्य इसकी सत्यता को सिद्ध करता है।इस्लाम में हाथ से स्वयं चित्र बनाने से रोका गया है, परन्तु केमरे के द्वारा ईश्वर की बनाई हुई रूप ही का यदि अक्स ले लिया गया हो तो इसकी अनुमती दी गई है। शर्त वही है कि उसे मात्र चित्र माना जाए। उसका आदर और सम्मान इतना न होना चाहिए कि वह पूज्य बन जाए।

  24. safat alam कहते हैं:

    >अनुनाद सिंह साहिब! जी हाँ इस्लाम में मूर्ति-पूजा वर्जित है,औऱ इस्लाम यह भी नहीं चाहता कि मानव फोटो को इतना महत्व देने लगे कि उसको पूज्य ही मान ले। जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। केवल इस्लाम ही एक ऐसा धर्म है जो स्वच्छ एकेश्वरवादी धर्म है और यही तथ्य इसकी सत्यता को सिद्ध करता है।इस्लाम में हाथ से स्वयं चित्र बनाने से रोका गया है, परन्तु केमरे के द्वारा ईश्वर की बनाई हुई रूप ही का यदि अक्स ले लिया गया हो तो इसकी अनुमती दी गई है। शर्त वही है कि उसे मात्र चित्र माना जाए। उसका आदर और सम्मान इतना न होना चाहिए कि वह पूज्य बन जाए।

  25. हमसफर कहते हैं:

    >हर मुसलमान को आतंकवादी होना चाहिए —— सही कह रहें हैं आप लेकिन मुस्लमान आखिर क्यों इस बात पर इतना जोड़ देता है कि हर मुसलमान आतंकवादी नही है कही दाल में कोई काला है क्या

  26. चन्दन चौहान कहते हैं:

    >हर मुसलमान को आतंकवादी होना चाहिए —— सही कह रहें हैं आप लेकिन मुस्लमान आखिर क्यों इस बात पर इतना जोड़ देता है कि हर मुसलमान आतंकवादी नही है कही दाल में कोई काला है क्या

  27. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सफत आलम जी .. अजी बिलकुल सही बात कही है जैसा की हम सब जानते है की कैमरे का अविष्कार पैगम्बर साहब के आने से पहले ही हो गया था इसी लिए इस्लाम में इसकी इजाज़त भी है , क्यों है ना ?@ पाठकगणों ………अजी हम तो जानते ही हैं की दुनिया के सारे शास्त्रों की शुरुआत कुरआन से ही होती है ,सारे के सारे आविष्कार भी इस्लामिक लोगों ने ही किये हैं ,सभी महत्वपूर्ण चिकित्सा ग्रंथों , दवाईयों को मुस्लिमों ने ही शोध करके विकसित किया है 'रसायन , भौतिकी , गणित भी इन्ही की देन है , |बाकी की दुनिया घास खोद रही है ||लेकिन कमाल है कि कुरआन में और हदीसों में ये बातें हम जैसे काफिरों को नहीं दिखती सिर्फ दिव्यचक्षुओं वाले रसूल के (मूढ़ ) अनुचरों को ही दिख रहीं हैं , ||आप सब से निवेदन है कि सब काम-धाम छोड़कर आप भी इनकी दावत में शामिल हो जाएँ …………..\फैसल आपका ||

  28. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सफत आलम जी .. अजी बिलकुल सही बात कही है जैसा की हम सब जानते है की कैमरे का अविष्कार पैगम्बर साहब के आने से पहले ही हो गया था इसी लिए इस्लाम में इसकी इजाज़त भी है , क्यों है ना ?@ पाठकगणों ………अजी हम तो जानते ही हैं की दुनिया के सारे शास्त्रों की शुरुआत कुरआन से ही होती है ,सारे के सारे आविष्कार भी इस्लामिक लोगों ने ही किये हैं ,सभी महत्वपूर्ण चिकित्सा ग्रंथों , दवाईयों को मुस्लिमों ने ही शोध करके विकसित किया है 'रसायन , भौतिकी , गणित भी इन्ही की देन है , |बाकी की दुनिया घास खोद रही है ||लेकिन कमाल है कि कुरआन में और हदीसों में ये बातें हम जैसे काफिरों को नहीं दिखती सिर्फ दिव्यचक्षुओं वाले रसूल के (मूढ़ ) अनुचरों को ही दिख रहीं हैं , ||आप सब से निवेदन है कि सब काम-धाम छोड़कर आप भी इनकी दावत में शामिल हो जाएँ …………..\फैसल आपका ||

  29. Mohammed Umar Kairanvi कहते हैं:

    >इस लेख से मुझे पहले भी इत्तफाक़ नहीं था अब भी नहीं है, जिन बातों से मुझे इत्तफाक़ है वह यह हैं कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा हैंantimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)इस्लामिक पुस्तकों के अतिरिक्‍त छ अल्लाह के चैलेंज islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)

  30. Mohammed Umar Kairanvi कहते हैं:

    >इस लेख से मुझे पहले भी इत्तफाक़ नहीं था अब भी नहीं है, जिन बातों से मुझे इत्तफाक़ है वह यह हैं कि मुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा हैंantimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)इस्लामिक पुस्तकों के अतिरिक्‍त छ अल्लाह के चैलेंज islaminhindi.blogspot.com (Rank-2 Blog)

  31. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ पाठकगणों निवेदन है कि आप श्री कै+राना रत्न ( जिनके तर्कों से कै हो जाये ) जी की टिप्पणियों पर अवश्य ध्यान देवें |सर्वसम्मति से प्राप्त रैंकिंग :- कुरआन की बकवासों का मामला -कैरानवी Rank – 2निहायत ही घटिया अवतारवादी तर्क का मामला -कैरानवी Rank – 1जल्दी पहुचें कोई और आगे न निकल जाये ||

  32. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ पाठकगणों निवेदन है कि आप श्री कै+राना रत्न ( जिनके तर्कों से कै हो जाये ) जी की टिप्पणियों पर अवश्य ध्यान देवें |सर्वसम्मति से प्राप्त रैंकिंग :- कुरआन की बकवासों का मामला -कैरानवी Rank – 2निहायत ही घटिया अवतारवादी तर्क का मामला -कैरानवी Rank – 1जल्दी पहुचें कोई और आगे न निकल जाये ||

  33. सलीम खान कहते हैं:

    >वरुण जी, आपको इस तरह की भाषा इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए. आप सभ्य शब्दों में भी अपनी बातें कह सकते हैं.

  34. सलीम खान कहते हैं:

    >वरुण जी, आपको इस तरह की भाषा इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए. आप सभ्य शब्दों में भी अपनी बातें कह सकते हैं.

  35. Bilal Bijrolvi कहते हैं:

    >musalman ko aman pasand hona chahiye yahi quran ka paigham he,,kairanvi sb ne aapko itala bheji he ki aapka Blog Rank-1 he , yeh tamga jald apni chhati par laga len,,aur doosre nalayq bhi dekh len, unaka net jagat men kiya rutba he,http://www.prchecker.info/check_page_rank.phpunhoone ne kaha tha mera parchar link zaroor laganaमुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा हैंantimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

  36. Bilal Bijrolvi कहते हैं:

    >musalman ko aman pasand hona chahiye yahi quran ka paigham he,,kairanvi sb ne aapko itala bheji he ki aapka Blog Rank-1 he , yeh tamga jald apni chhati par laga len,,aur doosre nalayq bhi dekh len, unaka net jagat men kiya rutba he,http://www.prchecker.info/check_page_rank.phpunhoone ne kaha tha mera parchar link zaroor laganaमुहम्मद सल्ल. कल्कि व अंतिम अवतार और बैद्ध् मैत्रे, अंतिम ऋषि (इसाई) यहूदीयों के भी आखरी संदेष्‍टा हैंantimawtar.blogspot.com (Rank-1 Blog)

  37. >@ सफत आलम जी, आपने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस्लाम में हाथ से स्वयं चित्र बनाने से रोका गया है।इसका अर्थ ये हुआ कि मशहूर चित्रकार हुसैन साहब इस्लाम के उसूलों के खिलाफ चल रहे हैं। अब यदि कोई व्यक्ति अपने धर्म के विपरीत आचरण करे, तो दूसरे सहधर्मी व्यक्ति का ये कर्तव्य बनता है कि उसे उस कार्य से रोका जाए,समझाया जाए।अब तक तो आपको फिदा हुसैन जी के खिलाफ मोर्चा खोल देना चाहिए था:)

  38. >@ सफत आलम जी, आपने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस्लाम में हाथ से स्वयं चित्र बनाने से रोका गया है।इसका अर्थ ये हुआ कि मशहूर चित्रकार हुसैन साहब इस्लाम के उसूलों के खिलाफ चल रहे हैं। अब यदि कोई व्यक्ति अपने धर्म के विपरीत आचरण करे, तो दूसरे सहधर्मी व्यक्ति का ये कर्तव्य बनता है कि उसे उस कार्य से रोका जाए,समझाया जाए।अब तक तो आपको फिदा हुसैन जी के खिलाफ मोर्चा खोल देना चाहिए था:)

  39. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सलीम खान जी मेरा मंतव्य किसी की भावनाओं को ठेस पंहुचाने का कतई नहीं है , किन्तु आपके ब्लॉग पर कुछ बातें बेहद नागवार लगी | अतः शब्दों पर नियंत्रण नहीं रख सका |आप अपनी लेखन क्षमता ( जो कि मेरी व्यक्तिगत राय में बेहद अच्छी है ) का धार्मिक दुरूपयोग कर रहे हैं |निम्न बातों से परेशानी है या तो इन्हें हटा दें या फिर शब्दों के स्तर पर आपत्ती न करें || १ . आपकी के लिए यह आयत शायद खुदाई कलाम होगा पर हमारे लिए तो गाली ही है , और वो लिखने वाले को हमारा प्रतिउत्तर भी झेलना ही पड़ेगा ||"" और यदि मुशरिकों (बहुदेववादियों) में से कोई तुमसे शरण मांगे, तो तुम उसे शरण दे दो. यहाँ तक की वह अल्लाह की वाणी सुन ले. फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दो, क्यूंकि वे ऐसे लोग हैं जिन्हें ज्ञान नहीं." सुरा 9, अत-तौबा, श्लोक ६ "| सलीम मैं भी एकेश्वरवाद एवं बहुदेववाद दोनों में ही अलग – अलग आस्था रखता हूँ , यदि मेरी आस्था को आसमानी आयत भी चोट पहुचायेगी तो उससे भी निपट लेंगे | तार्किक मामले में हम बहुदेववादियों ने आप से ज्यादा ज्ञान दुनिया को दिया है ||२ . आपका हर बात में अपने धर्म को अंतिम मनवाने का जो प्रयास है , वो किसी भी स्वस्थ बहस का गला घोट सकता है |बात हमेशा अंतिम धर्म पर आकर ख़त्म कर देते हैं आप अपनी पिछली पोस्ट पर खुद कि गयी एक टिप्पणियों में से एक को देखिये ,"स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़ ने कहा…अनुनाद सिंह की मने तो हिन्दू धर्म की व्याख्या हो ही नहीं सकती क्यूंकि वह बदलती रहती है….उनके अनुसार वेदों और पुराणों की बातें बेमानी हैं. यहाँ तक कि महाभारत की भी…अगर हम वेदों और पुराणों और महाभारत और रामायण और इसी तरह गीता आदि में कमियां निकले तो आप सब खड़े हो जाओगे….और अगर हम वेदों और पुराणों और महाभारत और रामायण और इसी तरह गीता आदि का हवाला दें कि आपकी किताब में यह लिखा है तो आप कहोगे…. नहीं वह तो पुराना है अब नहीं चलेगा…वैसे मैं बताऊँ आपका कहना सही है वह वाकई उस समय औ काल से हिसाब से था… ईश्वर ने वेदों, बाइबल आदि को उस समय के लिए ही भेजा था…अब के जीवन में वह अप्रासंगिक ही हैं….लेकिन ईश्वर ने कुरआन में अपना अंतिम और मुक़म्मल सन्देश पूरी इंसानियत (मानवता) के लिए भेज दिया है और वह आखिरी दिन तक के लिए कम्प्लीट हो चूका है… ऐसा होना वेदों में भी है बाइबल में भी… और ना जाने कितनी ही दुसरे धर्म की किताबो में लिखा है….यह मैं नहीं कह रहा….. आप स्वयं पढ़ कर देख लें..July 31, 2009 7:11 PM "मेरा आपकी इस टिप्पणी पर यह कहना है कि आप स्वयं दूसरो के धर्म को नीचा और समय से पिछड़ा कह रहे हैं , और जब ये बात मैंने कही तो आप को आपत्ती हो गयी ||३. सलीम जी स्वधर्म को श्रेष्ठतम बताना एक हद तक ठीक है लेकिन जब दूसरों को नीचा बताओगे तो तुमको भी वही सरोकार मिलेगा ||सलीम जी अब भी वक़्त हैं धार्मिक बनिए , धर्मांध नहीं ||सत्यमेव जयते ||

  40. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सलीम खान जी मेरा मंतव्य किसी की भावनाओं को ठेस पंहुचाने का कतई नहीं है , किन्तु आपके ब्लॉग पर कुछ बातें बेहद नागवार लगी | अतः शब्दों पर नियंत्रण नहीं रख सका |आप अपनी लेखन क्षमता ( जो कि मेरी व्यक्तिगत राय में बेहद अच्छी है ) का धार्मिक दुरूपयोग कर रहे हैं |निम्न बातों से परेशानी है या तो इन्हें हटा दें या फिर शब्दों के स्तर पर आपत्ती न करें || १ . आपकी के लिए यह आयत शायद खुदाई कलाम होगा पर हमारे लिए तो गाली ही है , और वो लिखने वाले को हमारा प्रतिउत्तर भी झेलना ही पड़ेगा ||"" और यदि मुशरिकों (बहुदेववादियों) में से कोई तुमसे शरण मांगे, तो तुम उसे शरण दे दो. यहाँ तक की वह अल्लाह की वाणी सुन ले. फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दो, क्यूंकि वे ऐसे लोग हैं जिन्हें ज्ञान नहीं." सुरा 9, अत-तौबा, श्लोक ६ "| सलीम मैं भी एकेश्वरवाद एवं बहुदेववाद दोनों में ही अलग – अलग आस्था रखता हूँ , यदि मेरी आस्था को आसमानी आयत भी चोट पहुचायेगी तो उससे भी निपट लेंगे | तार्किक मामले में हम बहुदेववादियों ने आप से ज्यादा ज्ञान दुनिया को दिया है ||२ . आपका हर बात में अपने धर्म को अंतिम मनवाने का जो प्रयास है , वो किसी भी स्वस्थ बहस का गला घोट सकता है |बात हमेशा अंतिम धर्म पर आकर ख़त्म कर देते हैं आप अपनी पिछली पोस्ट पर खुद कि गयी एक टिप्पणियों में से एक को देखिये ,"स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़ ने कहा…अनुनाद सिंह की मने तो हिन्दू धर्म की व्याख्या हो ही नहीं सकती क्यूंकि वह बदलती रहती है….उनके अनुसार वेदों और पुराणों की बातें बेमानी हैं. यहाँ तक कि महाभारत की भी…अगर हम वेदों और पुराणों और महाभारत और रामायण और इसी तरह गीता आदि में कमियां निकले तो आप सब खड़े हो जाओगे….और अगर हम वेदों और पुराणों और महाभारत और रामायण और इसी तरह गीता आदि का हवाला दें कि आपकी किताब में यह लिखा है तो आप कहोगे…. नहीं वह तो पुराना है अब नहीं चलेगा…वैसे मैं बताऊँ आपका कहना सही है वह वाकई उस समय औ काल से हिसाब से था… ईश्वर ने वेदों, बाइबल आदि को उस समय के लिए ही भेजा था…अब के जीवन में वह अप्रासंगिक ही हैं….लेकिन ईश्वर ने कुरआन में अपना अंतिम और मुक़म्मल सन्देश पूरी इंसानियत (मानवता) के लिए भेज दिया है और वह आखिरी दिन तक के लिए कम्प्लीट हो चूका है… ऐसा होना वेदों में भी है बाइबल में भी… और ना जाने कितनी ही दुसरे धर्म की किताबो में लिखा है….यह मैं नहीं कह रहा….. आप स्वयं पढ़ कर देख लें..July 31, 2009 7:11 PM "मेरा आपकी इस टिप्पणी पर यह कहना है कि आप स्वयं दूसरो के धर्म को नीचा और समय से पिछड़ा कह रहे हैं , और जब ये बात मैंने कही तो आप को आपत्ती हो गयी ||३. सलीम जी स्वधर्म को श्रेष्ठतम बताना एक हद तक ठीक है लेकिन जब दूसरों को नीचा बताओगे तो तुमको भी वही सरोकार मिलेगा ||सलीम जी अब भी वक़्त हैं धार्मिक बनिए , धर्मांध नहीं ||सत्यमेव जयते ||

  41. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >क्या अनुनाद भाई आप भी? अगर सलीम भाई, डेनियल पाइप्स की साईट पढ़ेंगे तो ब्लॉग लिखना भूल जायेंगे… इन्हें अपना काम करने दीजिये। सलीम भाई, अब आप भी कुतर्क करने में माहिर हो चले हैं, तो एक बात बताईये कि "आपकी नज़र में" (जी हाँ सिर्फ़ आपकी व्यक्तिगत नज़र में) महबूबा मुफ़्ती देशभक्त हैं या आतंकवादी?

  42. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >क्या अनुनाद भाई आप भी? अगर सलीम भाई, डेनियल पाइप्स की साईट पढ़ेंगे तो ब्लॉग लिखना भूल जायेंगे… इन्हें अपना काम करने दीजिये। सलीम भाई, अब आप भी कुतर्क करने में माहिर हो चले हैं, तो एक बात बताईये कि "आपकी नज़र में" (जी हाँ सिर्फ़ आपकी व्यक्तिगत नज़र में) महबूबा मुफ़्ती देशभक्त हैं या आतंकवादी?

  43. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >साफत जी,लगे हाँथों ये भी बता दीजिये कि हाँथ से चित्र या मूर्ति बनाने पर मनाही क्यों है जबकि कैमरे से लिया गया फोटू स्वीकार्य क्यों है?किसी सज्जन ने मजाक में ही एक बहुत बड़ा सवाल उठाया है- क्या कैमरा का आविष्कार कुरान के पहले हो चुका था? यदि ऐसा है तो मुहम्मद की तस्वीर कैमरे से ही कैद कर लिया होता।

  44. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >साफत जी,लगे हाँथों ये भी बता दीजिये कि हाँथ से चित्र या मूर्ति बनाने पर मनाही क्यों है जबकि कैमरे से लिया गया फोटू स्वीकार्य क्यों है?किसी सज्जन ने मजाक में ही एक बहुत बड़ा सवाल उठाया है- क्या कैमरा का आविष्कार कुरान के पहले हो चुका था? यदि ऐसा है तो मुहम्मद की तस्वीर कैमरे से ही कैद कर लिया होता।

  45. >शातिर कुतर्क चल रहा है यहाँ। यह इसे एक अन्धेरी सुरंग में ले जाएगा।

  46. >शातिर कुतर्क चल रहा है यहाँ। यह इसे एक अन्धेरी सुरंग में ले जाएगा।

  47. >सुरेश जी , अनुनाद जी , चन्दन जी , वरुण भाई , और वत्स साहब आप सबों से अनुरोध है ……..सलीम और कैरानवी जैसे धर्मान्धों की सभा में हम आना बंद कर दें तो ज्यादा अच्छा होगा ! ये बहस करने लायक नहीं है और इनका उद्देश्य केवल इसलाम का प्रचार करना है . ऐसे लोगों का बायकाट होना चाहिए …………………..

  48. जयराम "विप्लव" कहते हैं:

    >सुरेश जी , अनुनाद जी , चन्दन जी , वरुण भाई , और वत्स साहब आप सबों से अनुरोध है ……..सलीम और कैरानवी जैसे धर्मान्धों की सभा में हम आना बंद कर दें तो ज्यादा अच्छा होगा ! ये बहस करने लायक नहीं है और इनका उद्देश्य केवल इसलाम का प्रचार करना है . ऐसे लोगों का बायकाट होना चाहिए …………………..

  49. प्रबुद्ध कहते हैं:

    >सलीम भाई,ब्लॉग की दुनिया के लोकतंत्र का नाजायज़ फ़ायदा उठाना ठीक नहीं है। पहली बार आपके ब्लॉग पर आया, नाम देखा- स्वच्छ संदेश पर पता नहीं क्यूं लिखित सामग्री से मेल नहीं खा रहा। पूरे ब्लॉग का कलेवर भी एक ख़ास ढंग में सजा हुआ है-जिससे मुझे ज़्यादा ऐतराज़ नहीं है। आपको जो चाहें लिखने की आज़ादी तो है,बस गुज़ारिश इस बात की है कि धर्म की बेहतर सेवा आपसी नफ़रत कम करके ही की जा सकती है, कट्टरता को बढ़ावा देकर नहीं।दूसरा,आज़ादी के वक़्त अंग्रेज़ों के संदर्भ वाली बात तर्क नहीं कुतर्क है। किसी को भी अपने fundamentalism की संतुष्टि के लिए लाशें बिछाने की इजाज़त नहीं दी सकती। फिर चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान। अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलना fundamentalism नहीं था वो एक मुल्क को उसके नागरिकों को वापस सौंपने की क़वायद थी।तीसरा, मैं मानता हूं कि इस्लाम के बारे में पूरी दुनिया में कुछ ग़लतफ़हमियां हैं लेकिन हैरानी इस बात को लेकर है कि आप जैसे ज़हीन लोग क्यूंकर उन ग़लतफ़हमियों को मज़बूत कर रहे हैं। अरे, आपका काम उन्हें दूर करने का है। उम्मीद है कि आगे से इस्लाम पर कुछ बेहतरीन लेख पढ़ने को मिलेंगे। टिप्पणियां भी संयमित रहें तो बेहतर है। ये लड़ाई का मंच नहीं, एक-दूसरे की बातों को समझने-समझाने का मंच है।

  50. प्रबुद्ध कहते हैं:

    >सलीम भाई,ब्लॉग की दुनिया के लोकतंत्र का नाजायज़ फ़ायदा उठाना ठीक नहीं है। पहली बार आपके ब्लॉग पर आया, नाम देखा- स्वच्छ संदेश पर पता नहीं क्यूं लिखित सामग्री से मेल नहीं खा रहा। पूरे ब्लॉग का कलेवर भी एक ख़ास ढंग में सजा हुआ है-जिससे मुझे ज़्यादा ऐतराज़ नहीं है। आपको जो चाहें लिखने की आज़ादी तो है,बस गुज़ारिश इस बात की है कि धर्म की बेहतर सेवा आपसी नफ़रत कम करके ही की जा सकती है, कट्टरता को बढ़ावा देकर नहीं।दूसरा,आज़ादी के वक़्त अंग्रेज़ों के संदर्भ वाली बात तर्क नहीं कुतर्क है। किसी को भी अपने fundamentalism की संतुष्टि के लिए लाशें बिछाने की इजाज़त नहीं दी सकती। फिर चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान। अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलना fundamentalism नहीं था वो एक मुल्क को उसके नागरिकों को वापस सौंपने की क़वायद थी।तीसरा, मैं मानता हूं कि इस्लाम के बारे में पूरी दुनिया में कुछ ग़लतफ़हमियां हैं लेकिन हैरानी इस बात को लेकर है कि आप जैसे ज़हीन लोग क्यूंकर उन ग़लतफ़हमियों को मज़बूत कर रहे हैं। अरे, आपका काम उन्हें दूर करने का है। उम्मीद है कि आगे से इस्लाम पर कुछ बेहतरीन लेख पढ़ने को मिलेंगे। टिप्पणियां भी संयमित रहें तो बेहतर है। ये लड़ाई का मंच नहीं, एक-दूसरे की बातों को समझने-समझाने का मंच है।

  51. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >जयराम जी की बात सही है, लेकिन कुतर्क करने की हद क्या हो सकती है तथा एक ही किताब को लेकर कितने भ्रम या कट्टरपन पाले जा सकते हैं, यह टेस्ट करने आना पड़ता है… :)। बहता हुआ पानी और ठहरे पानी के तालाब वाली कहावत तो सबने सुनी होगी…। हमें ठहरा हुआ पानी चेक करना है, इसलिये कभीकभार इधर आना पड़ता है… 🙂

  52. Suresh Chiplunkar कहते हैं:

    >जयराम जी की बात सही है, लेकिन कुतर्क करने की हद क्या हो सकती है तथा एक ही किताब को लेकर कितने भ्रम या कट्टरपन पाले जा सकते हैं, यह टेस्ट करने आना पड़ता है… :)। बहता हुआ पानी और ठहरे पानी के तालाब वाली कहावत तो सबने सुनी होगी…। हमें ठहरा हुआ पानी चेक करना है, इसलिये कभीकभार इधर आना पड़ता है… 🙂

  53. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >@सुरेश भाई, महबूबा मुफ्ती देशभक्त हैं अथवा आतंकवादी, मैं नहीं जानता क्यूंकि मैंने उनके बारे में तफ़तीश नहीं की.मैं यह भी नहीं जानता की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर आतंकवादी है या नहीं क्यूंकि मैंने उनके बारे में तफ़तीश नहीं की. और मैं यह भी नहीं जानता की ओसामा बिन लादेन आतंकवादी है या नहीं क्यूंकि मैंने उनके बारे में तफ़तीश नहीं की. हाँ मैं शहीदे-आज़म भगत सिंह के बारे में जानता हूँ कि वह आतंकवादी नहीं थे, वह एक सच्चे देश भक्त थे. मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि मैंने भगत सिंह के बारे में तफ़्तीस की हैं…उम्मीद करता हूँ कि यह आपके सवालों का जवाब हुआ.

  54. >@सुरेश भाई, महबूबा मुफ्ती देशभक्त हैं अथवा आतंकवादी, मैं नहीं जानता क्यूंकि मैंने उनके बारे में तफ़तीश नहीं की.मैं यह भी नहीं जानता की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर आतंकवादी है या नहीं क्यूंकि मैंने उनके बारे में तफ़तीश नहीं की. और मैं यह भी नहीं जानता की ओसामा बिन लादेन आतंकवादी है या नहीं क्यूंकि मैंने उनके बारे में तफ़तीश नहीं की. हाँ मैं शहीदे-आज़म भगत सिंह के बारे में जानता हूँ कि वह आतंकवादी नहीं थे, वह एक सच्चे देश भक्त थे. मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि मैंने भगत सिंह के बारे में तफ़्तीस की हैं…उम्मीद करता हूँ कि यह आपके सवालों का जवाब हुआ.

  55. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >देखिये मैं यहाँ यह्खे के लिए ब्लॉग नहीं खोल रखा है कि बेकार की ताफ्फजियाँ हों जो अभी तक के हिंदी ब्लॉग जगत में होती चली आई हैं और हो भी रहीं हैं…मेरा मकसद है कि हिन्दोस्तान कि दो बड़ी कौमें हिन्दु और मुसलमान एक ही छत के नीचे आ जाएँ क्यूंकि वह वाकए एक ही ईश्वर के द्वारा बनाई गयी हैं अलग अलग खुदाओं के द्वारा नहीं…

  56. >देखिये मैं यहाँ यह्खे के लिए ब्लॉग नहीं खोल रखा है कि बेकार की ताफ्फजियाँ हों जो अभी तक के हिंदी ब्लॉग जगत में होती चली आई हैं और हो भी रहीं हैं…मेरा मकसद है कि हिन्दोस्तान कि दो बड़ी कौमें हिन्दु और मुसलमान एक ही छत के नीचे आ जाएँ क्यूंकि वह वाकए एक ही ईश्वर के द्वारा बनाई गयी हैं अलग अलग खुदाओं के द्वारा नहीं…

  57. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ जयराम जी आप की बात से सहमती तो है , लेकिन जैसा कि सुरेश भाई ने कहा कि कुतर्कों कि हद की जांच भी बहुत ज़रूरी है |साथ ही ब्लॉग जगत में नित्यप्रति अनेक नए व्यक्तियों का जुड़ाव हो रहा है , उनमें से अनेक तर्क के क्षेत्र में नए हैं अतः ऐसे ब्लोगरों के कुतर्कों से वे दिग्भ्रमित भी हो सकते हैं |इन कुतर्कों को माकूल जवाब दिया जाना बहुत ही आवश्यक है , वरना कुतर्की गंदगी तो फैलायेंगे ही ||……..:)

  58. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ जयराम जी आप की बात से सहमती तो है , लेकिन जैसा कि सुरेश भाई ने कहा कि कुतर्कों कि हद की जांच भी बहुत ज़रूरी है |साथ ही ब्लॉग जगत में नित्यप्रति अनेक नए व्यक्तियों का जुड़ाव हो रहा है , उनमें से अनेक तर्क के क्षेत्र में नए हैं अतः ऐसे ब्लोगरों के कुतर्कों से वे दिग्भ्रमित भी हो सकते हैं |इन कुतर्कों को माकूल जवाब दिया जाना बहुत ही आवश्यक है , वरना कुतर्की गंदगी तो फैलायेंगे ही ||……..:)

  59. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >@जयराम जी, वन्दे-ईश्वरम…आप से यही उम्मीद है क्यूंकि आप जैसे लोग तस्वीर का एक ही रुख़ देख पातें है दूसरा नहीं , गनीमत हैं कि व्यक्तित्व के स्तर पर सुरेश चिपलूनकर आपसे बेह्तर हैं….

  60. >@जयराम जी, वन्दे-ईश्वरम…आप से यही उम्मीद है क्यूंकि आप जैसे लोग तस्वीर का एक ही रुख़ देख पातें है दूसरा नहीं , गनीमत हैं कि व्यक्तित्व के स्तर पर सुरेश चिपलूनकर आपसे बेह्तर हैं….

  61. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >@प्रबुद्ध जी, वन्दे-ईश्वरम…आपने कहा "इस्लाम के बारे में पूरी दुनिया में कुछ ग़लतफ़हमियां हैं"आप मुझसे वह ग़लतफ़हमियां शेयर कीजिये, मुझसे वह नाराज़गी बताईये, इंशा-अल्लाह मैं आपकी नाराज़गी को ज़रूर दूर करूँगा…या मुझे मेल करे स्वच्छसन्देश@जीमेल.कॉम (swachchhsandesh@gmail.com)

  62. >@प्रबुद्ध जी, वन्दे-ईश्वरम…आपने कहा "इस्लाम के बारे में पूरी दुनिया में कुछ ग़लतफ़हमियां हैं"आप मुझसे वह ग़लतफ़हमियां शेयर कीजिये, मुझसे वह नाराज़गी बताईये, इंशा-अल्लाह मैं आपकी नाराज़गी को ज़रूर दूर करूँगा…या मुझे मेल करे स्वच्छसन्देश@जीमेल.कॉम (swachchhsandesh@gmail.com)

  63. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >"कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह (ईश्वर) और आखिरी दिन (प्रलय) पर ईमान (विश्वाश) रखते हैं, हालाँकि वे नहीं रखते हैं."वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने आप को ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते" सुरा अल-बकरा, 8-9 (कुरआन 2: 8 से 9)

  64. >"कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि हम अल्लाह (ईश्वर) और आखिरी दिन (प्रलय) पर ईमान (विश्वाश) रखते हैं, हालाँकि वे नहीं रखते हैं."वे अल्लाह और ईमानवालों के साथ धोखेबाज़ी कर रहे हैं, हालाँकि धोखा वे स्वयं अपने आप को ही दे रहे हैं, परन्तु वे इसको महसूस नहीं करते" सुरा अल-बकरा, 8-9 (कुरआन 2: 8 से 9)

  65. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >@वरुण भाई, वन्दे-ईश्वरं…देखिये तर्क या कुतर्क से सत्य को बदला नहीं जा सकता… क्यूंकि जैसा कि आप लिख रहे है सत्यमेव-जयाते {कुरआन में भी लिखा है, "जब हक़ (सत्य) बातिल (झूठ) से टकराता है तो बातिल (झूठ) का सर्वनाश हो जाता है}सच यह है कि वेदों में भी लिखा है कि ईश्वर एक है (आप अपने आपको बहुदेववादी कह रहें हैं तो आप होंगे लेकिन इस लिहाज़ से आप वेदों के पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे)"एकं ब्रह्मा द्वितीयो नास्ति. नास्ति, नास्ति, नेह्न्ये नास्ति." (ब्रह्मसूत्र)अर्थात "ईश्वर एक ही है दूसरा नहीं है. नहीं है, नहीं है, ज़रा भी नहीं है"यह आपके वेद में लिखा है, ब्रह्म सूत्र के डेफिनिशन में…

  66. >@वरुण भाई, वन्दे-ईश्वरं…देखिये तर्क या कुतर्क से सत्य को बदला नहीं जा सकता… क्यूंकि जैसा कि आप लिख रहे है सत्यमेव-जयाते {कुरआन में भी लिखा है, "जब हक़ (सत्य) बातिल (झूठ) से टकराता है तो बातिल (झूठ) का सर्वनाश हो जाता है}सच यह है कि वेदों में भी लिखा है कि ईश्वर एक है (आप अपने आपको बहुदेववादी कह रहें हैं तो आप होंगे लेकिन इस लिहाज़ से आप वेदों के पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे)"एकं ब्रह्मा द्वितीयो नास्ति. नास्ति, नास्ति, नेह्न्ये नास्ति." (ब्रह्मसूत्र)अर्थात "ईश्वर एक ही है दूसरा नहीं है. नहीं है, नहीं है, ज़रा भी नहीं है"यह आपके वेद में लिखा है, ब्रह्म सूत्र के डेफिनिशन में…

  67. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सलीम खान जी महबूबा मुफ्ती पर आपने कोई रिसर्च नहीं की , साध्वी प्रज्ञा पर भी नहीं की और भगत सिंह पर व्यापक तफ्तीश करके बैठे हैं अर्थात आज देश की चुनौतियों से , देश का अच्छा बुरा चाहने वालों से आपका कोई लेना देना नहीं है अतीत को लेकर बैठे हुए हैं , जाहिर है आपको पढ़ा – लिखा सुसभ्य नागरिक मानने में किसी भी देशभक्त को ऐतराज़ ही होगा ||और एक बात जनाब आप अपने आप को इस्लाम का जानकार कहते हैं और ओसामा – बिन – लादेन आतंकवादी है या नहीं आप नहीं जानते ??? अब यहीं आप की संकीर्ण सोच सामने आ जाती है , आज पूरी दुनिया जानती है ओसामा – बिन – लादेन ' इस्लाम के उस वहाबी सम्प्रदाय से जुडा हुआ प्रशिक्षित आतंकी है जो कि पूरी दुनिया में साक्षात् आंतकी कार्वाहियों में लिप्त हैं | वहाबी विचारधारा किसी भी प्रकार से सह – अस्तित्व को स्वीकार नहीं करती है , और पूरी दुनिया को दार – उल – इस्लाम में बदलना चाहता है , अल – कायदा जैसे कट्टर कुख्यात संगठन इसी वहाभी सम्प्रदाय की देन हैं | डॉ जाकिर नाइक के कुतर्क भी इसी उन्मादी वहाबी सम्प्रदाय की सोच से मेल खाते हैं , जिसका ढींढोरा वो पूरी दुनिया में पीट रहा है ||आपमें यदि इस्लाम के इस वीभत्स रूप के बारे में भी लिखने की हिम्मत हो तो आपका स्वागत है |वरना इस्लाम के जानकार होने का ढोंग मत करिए ||ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे ||

  68. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सलीम खान जी महबूबा मुफ्ती पर आपने कोई रिसर्च नहीं की , साध्वी प्रज्ञा पर भी नहीं की और भगत सिंह पर व्यापक तफ्तीश करके बैठे हैं अर्थात आज देश की चुनौतियों से , देश का अच्छा बुरा चाहने वालों से आपका कोई लेना देना नहीं है अतीत को लेकर बैठे हुए हैं , जाहिर है आपको पढ़ा – लिखा सुसभ्य नागरिक मानने में किसी भी देशभक्त को ऐतराज़ ही होगा ||और एक बात जनाब आप अपने आप को इस्लाम का जानकार कहते हैं और ओसामा – बिन – लादेन आतंकवादी है या नहीं आप नहीं जानते ??? अब यहीं आप की संकीर्ण सोच सामने आ जाती है , आज पूरी दुनिया जानती है ओसामा – बिन – लादेन ' इस्लाम के उस वहाबी सम्प्रदाय से जुडा हुआ प्रशिक्षित आतंकी है जो कि पूरी दुनिया में साक्षात् आंतकी कार्वाहियों में लिप्त हैं | वहाबी विचारधारा किसी भी प्रकार से सह – अस्तित्व को स्वीकार नहीं करती है , और पूरी दुनिया को दार – उल – इस्लाम में बदलना चाहता है , अल – कायदा जैसे कट्टर कुख्यात संगठन इसी वहाभी सम्प्रदाय की देन हैं | डॉ जाकिर नाइक के कुतर्क भी इसी उन्मादी वहाबी सम्प्रदाय की सोच से मेल खाते हैं , जिसका ढींढोरा वो पूरी दुनिया में पीट रहा है ||आपमें यदि इस्लाम के इस वीभत्स रूप के बारे में भी लिखने की हिम्मत हो तो आपका स्वागत है |वरना इस्लाम के जानकार होने का ढोंग मत करिए ||ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे ||

  69. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >कोई आज तक सिद्ध नहीं कर पाया है कि एक भी ईश्वर नहीं है (नास्तिक दर्शन), एक ही ईश्वर है या अनेकों 'शक्तियाँ' हैं। यह बहुत ही साधारण अनुभव है कि संसार में उत्पन्न हर व्यक्ति की बौद्धिक क्षमताएँ अलग-अलग हैं, उनका परिवेश अलग-अलग है और उनके अनुभव अलग-अलग हैं। इसलिये सोचने-विचारने का ढंग और क्षमता भी अलग-अलग है। (मुण्डे-मुण्डे मति: भिन्ना)। ऐसी अवस्था में, अपने मत को अंतिम सत्य कहना और किसी के उपर उसे लादने की कोशिश करना बेमानी है। हिन्न्दुओं का मत इस बारे में स्पष्ट है – एकं सत्य विप्रा: बहुधा वदन्ति। (सत्य तो एक ही है, किन्तु विद्वान लोग उसे अलग-अलग तरह से कहते हैं) महाभारतकार ने तो सत्य के बारे में कितनी अच्छी बात कही है-सत्यस्य वचनं श्रेयं सत्यज्ञानं तु दुस्करम्|यदभूतहितमत्यन्त्, एतद् सत्यं ब्रबीमि अहम्||(सत्य बोलना श्रेष्ठ है; किन्तु सत्य का ज्ञान (क्या सत्य है, क्या नहीं) कठिन है। इसलिये जो सभी प्राणियों के अत्यन्त हित में हो, उसी को मैं 'सत्य' कहता हूँ (यह नहीं कहता हूँ कि 'वही सत्य है')। आज के वैज्ञानिक युग में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है। पहले कोई प्रेक्षण (observation) लिया जाता है, उसका बहुविधि अध्ययन किया जाता है, फिर परिकल्पना (हाइपोथेसिस) दिया जाता है; बहुत सारी स्थितियों में सत्य पाये जाने पर उसे 'नियम' मान लिया जाता है किन्तु इतनी सावधानी के बावजूद कुछ नियमों को असत्य सिद्ध कर दिया जाता है या उनमें मामूली सा परिवर्तन/परिवर्धन करना पड़दता है। यदि कुरान को अन्तिम सत्य का ज्ञान है तो इस्लामिक देश तमाम तरह की शिक्षाएं क्यों दे रहे हैं? इतने सारे विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में कुरान के अलावा अन्य पुस्तकें क्यो पढ़ायी जा रही हैं?

  70. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >कोई आज तक सिद्ध नहीं कर पाया है कि एक भी ईश्वर नहीं है (नास्तिक दर्शन), एक ही ईश्वर है या अनेकों 'शक्तियाँ' हैं। यह बहुत ही साधारण अनुभव है कि संसार में उत्पन्न हर व्यक्ति की बौद्धिक क्षमताएँ अलग-अलग हैं, उनका परिवेश अलग-अलग है और उनके अनुभव अलग-अलग हैं। इसलिये सोचने-विचारने का ढंग और क्षमता भी अलग-अलग है। (मुण्डे-मुण्डे मति: भिन्ना)। ऐसी अवस्था में, अपने मत को अंतिम सत्य कहना और किसी के उपर उसे लादने की कोशिश करना बेमानी है। हिन्न्दुओं का मत इस बारे में स्पष्ट है – एकं सत्य विप्रा: बहुधा वदन्ति। (सत्य तो एक ही है, किन्तु विद्वान लोग उसे अलग-अलग तरह से कहते हैं) महाभारतकार ने तो सत्य के बारे में कितनी अच्छी बात कही है-सत्यस्य वचनं श्रेयं सत्यज्ञानं तु दुस्करम्|यदभूतहितमत्यन्त्, एतद् सत्यं ब्रबीमि अहम्||(सत्य बोलना श्रेष्ठ है; किन्तु सत्य का ज्ञान (क्या सत्य है, क्या नहीं) कठिन है। इसलिये जो सभी प्राणियों के अत्यन्त हित में हो, उसी को मैं 'सत्य' कहता हूँ (यह नहीं कहता हूँ कि 'वही सत्य है')। आज के वैज्ञानिक युग में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है। पहले कोई प्रेक्षण (observation) लिया जाता है, उसका बहुविधि अध्ययन किया जाता है, फिर परिकल्पना (हाइपोथेसिस) दिया जाता है; बहुत सारी स्थितियों में सत्य पाये जाने पर उसे 'नियम' मान लिया जाता है किन्तु इतनी सावधानी के बावजूद कुछ नियमों को असत्य सिद्ध कर दिया जाता है या उनमें मामूली सा परिवर्तन/परिवर्धन करना पड़दता है। यदि कुरान को अन्तिम सत्य का ज्ञान है तो इस्लामिक देश तमाम तरह की शिक्षाएं क्यों दे रहे हैं? इतने सारे विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में कुरान के अलावा अन्य पुस्तकें क्यो पढ़ायी जा रही हैं?

  71. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सलीम खान जीआपकी जानकारी के लिए एक बार फिर से बता दूं कि हिन्दू धर्म किसी भी प्रकार से किसी भी धर्मग्रन्थ का मोहताज कत्तई नहीं है , चाहे वो वेद ही क्यों न हों | रही बात वेद क्या हैं ? ये बात अभी आप की समझ में नहीं आयी है कभी इसका भी उत्तर आपको दे दिया जायेगा |हमारे हिसाब से प्रकृति की कोई भी रचना में साक्षात् ईश्वर का स्वरुप हो सकता है , वो मुझमे भी है और आपमें भी , पत्थर हो या पानी सबमें उसी ईश्वर का वास है |और उसी ईश्वर की पूजा मैं करता हूँ ||सत्यमेव जयते ||

  72. Varun Kumar Jaiswal कहते हैं:

    >@ सलीम खान जीआपकी जानकारी के लिए एक बार फिर से बता दूं कि हिन्दू धर्म किसी भी प्रकार से किसी भी धर्मग्रन्थ का मोहताज कत्तई नहीं है , चाहे वो वेद ही क्यों न हों | रही बात वेद क्या हैं ? ये बात अभी आप की समझ में नहीं आयी है कभी इसका भी उत्तर आपको दे दिया जायेगा |हमारे हिसाब से प्रकृति की कोई भी रचना में साक्षात् ईश्वर का स्वरुप हो सकता है , वो मुझमे भी है और आपमें भी , पत्थर हो या पानी सबमें उसी ईश्वर का वास है |और उसी ईश्वर की पूजा मैं करता हूँ ||सत्यमेव जयते ||

  73. सलीम ख़ान कहते हैं:

    >khair, visit my next post… it is better for all of you to increasing the knowledgehttp://swachchhsandesh.blogspot.com/2009/08/non-veg-is-permmited-reply-to-critics.html

  74. >khair, visit my next post… it is better for all of you to increasing the knowledgehttp://swachchhsandesh.blogspot.com/2009/08/non-veg-is-permmited-reply-to-critics.html

  75. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >अंग्रेजी में सही (व्याकरण-सम्मत) यह है-…it is better for all of you to increase knowledge

  76. अनुनाद सिंह कहते हैं:

    >अंग्रेजी में सही (व्याकरण-सम्मत) यह है-…it is better for all of you to increase knowledge

  77. mera.tera.uska.blog कहते हैं:

    >saleem miya'npehli to aapki baat sire se hi galat hai…. Aatankwadi wo hai jo aatank ki bhasha me baat kare….yani jo prem se baatchit ke raaste kisi masle ka hal na nikalna chahta ho aur logo ko ya hukumat ko dara-dhamka kar, khun-kharaba kar ke koi maksad paane ki koshish kare….. isliye kashmir me bandooke thamne wale aur north-east me hinsa ka raasta akhtiyar karnewale…aur har kahi….sabhi jagah aise logo'n ko aatankwadi kaha jaata hai…. durbhagya se aaj musalman poori duniya me apne aise hi kamo'n se iss paribhasha me fit baith rahe hai'n….doosri baat jo aapne kahi nazariye wali to… angrezo'n ke khilaf jab hum ek desh ke taur par lad rahe the….angrezo ke liye ye aazadi ke matwale, bhale hi we hindu rahe ho ya muslim…aatankwadi hi the… jab russia me kranti huyee to amerika aur dusri western countries ne lenin ko daku aur lutera kahkar pracharit kiya tha….fidel castro ke baare me kiye gaye dushprachar se sabhi wakif hain….kehne ka matlab ye ki kisi jang me….achchhayee ho ya burayee….dono ka apne paksha hota hai…..ek jise sahi thehrata hai, to dusra use galat batata hai…..sawal aapse ye hai ki aap osama bin laden ko aatankwadi kehne se darte kyo hai….???? agar hamdardi hai to izhaar karna chahiye… aap agar jehad ko jaayaz thahrate hain to osama se kyo parhez??? khule aam kahiye na. mann me kuchh aur zuban par kuchh aur kyo???? aaz aatankwaad ki ladayee hindu aur musalmaan ki ladayee isliye ban gayee hai kyoki hindu bharat ko apne desh ke roop me dekhta hai aur musalmano ki chahat ye hai ki poori duniya me islamic rajya sthapit kiya jaaye……isliye jab bhi koyee musalmaan aatankwaad ke khilaf baat kerta hai to aadhe-adhoore mann se…agar-magar-lekin ke saath….baharhaal aap khud ko islam ka jaankaar bhale hi kahe, lekin meri nazar me aap ausat samajh ke aadmi se badhkar nahi hain….kyoki agar aap hote to poore masle (aatankwaad) ki koyee tarksangat wajah dhundhte…. logo ko ulti-seedhi padhaane ki koshish nahi karte…..khair, koyee sajjan yadi iss tippani ko hindi font me convert kar de to kripa hogi…dhanyavaad.

  78. mera.tera.uska.blog कहते हैं:

    >saleem miya'npehli to aapki baat sire se hi galat hai…. Aatankwadi wo hai jo aatank ki bhasha me baat kare….yani jo prem se baatchit ke raaste kisi masle ka hal na nikalna chahta ho aur logo ko ya hukumat ko dara-dhamka kar, khun-kharaba kar ke koi maksad paane ki koshish kare….. isliye kashmir me bandooke thamne wale aur north-east me hinsa ka raasta akhtiyar karnewale…aur har kahi….sabhi jagah aise logo'n ko aatankwadi kaha jaata hai…. durbhagya se aaj musalman poori duniya me apne aise hi kamo'n se iss paribhasha me fit baith rahe hai'n….doosri baat jo aapne kahi nazariye wali to… angrezo'n ke khilaf jab hum ek desh ke taur par lad rahe the….angrezo ke liye ye aazadi ke matwale, bhale hi we hindu rahe ho ya muslim…aatankwadi hi the… jab russia me kranti huyee to amerika aur dusri western countries ne lenin ko daku aur lutera kahkar pracharit kiya tha….fidel castro ke baare me kiye gaye dushprachar se sabhi wakif hain….kehne ka matlab ye ki kisi jang me….achchhayee ho ya burayee….dono ka apne paksha hota hai…..ek jise sahi thehrata hai, to dusra use galat batata hai…..sawal aapse ye hai ki aap osama bin laden ko aatankwadi kehne se darte kyo hai….???? agar hamdardi hai to izhaar karna chahiye… aap agar jehad ko jaayaz thahrate hain to osama se kyo parhez??? khule aam kahiye na. mann me kuchh aur zuban par kuchh aur kyo???? aaz aatankwaad ki ladayee hindu aur musalmaan ki ladayee isliye ban gayee hai kyoki hindu bharat ko apne desh ke roop me dekhta hai aur musalmano ki chahat ye hai ki poori duniya me islamic rajya sthapit kiya jaaye……isliye jab bhi koyee musalmaan aatankwaad ke khilaf baat kerta hai to aadhe-adhoore mann se…agar-magar-lekin ke saath….baharhaal aap khud ko islam ka jaankaar bhale hi kahe, lekin meri nazar me aap ausat samajh ke aadmi se badhkar nahi hain….kyoki agar aap hote to poore masle (aatankwaad) ki koyee tarksangat wajah dhundhte…. logo ko ulti-seedhi padhaane ki koshish nahi karte…..khair, koyee sajjan yadi iss tippani ko hindi font me convert kar de to kripa hogi…dhanyavaad.

  79. >" @वरुण भाई, वन्दे-ईश्वरं… @प्रबुद्ध जी, वन्दे-ईश्वरम… @जयराम जी, वन्दे-ईश्वरम…"मियां दोनों धर्मों को मिलाने कि बात करते हो ……अवतारवाद कि बात करते हो ………..परन्तु अंधविश्वास के कुएं में मेढंक कि भांति छटपटा रहे हो ! वन्दे -इश्वर कि जगह वन्दे मातरम कहो ! मैं तो नास्तिक ठहरा धर्म से कोई लेना- देना ही नहीं इसीलिए आजतक कभी वेद -पुराण नहीं पढ़ा . परन्तु मुझे अफ़सोस नहीं क्योंकि मैंने धर्मग्रन्थ नहीं पढ़े फिर भी मानवता के खिलाफ , समाज के खिलाफ , देश के खिलाफ कुछ nahi kiya , तुम्हे पता है दंगों में , आत्मघाती हमलों में , जितने भी लोग शामिल रहे हैं सभी ne धर्मग्रन्थों ko dhokar pee liya tha परन्तु , किसी को भी उनका अर्थ समझ में नहीं आया ki koi bhi ग्रन्थ आतंकवाद -दंगों कि इजाजत नहीं देता है ! बार-बार दूसरो को वेद-पुराण पढने कि सलाह अपने पास रखो . वैसे तो मैं विधर्मी हूँ . मानवधर्म को मानता हूँ . लेकिन हाँ तुष्टिकरण के खेल में नहीं रहता . सच को सच और झूठ को झूठ कहने में नहीं हिचकता ! निश्चित रूप से सुरेश जी के आगे मेरा व्यक्तित्व बौना है. हम तुम्हारी तरह नहीं जो अपनी बातों को अंतिम सत्य समझते हैं ! लेटेस्ट होने का तर्क तुम्हे ही मुबारक हो . क्योंकि हमारे हिसाब से हर दिन दुनिया में लेटेस्ट का भी लेटेस्ट चीज आता रहता है . varunjee aur suresh jee aapki in bato se "कुतर्कों कि हद की जांच भी बहुत ज़रूरी है |साथ ही ब्लॉग जगत में नित्यप्रति अनेक नए व्यक्तियों का जुड़ाव हो रहा है , उनमें से अनेक तर्क के क्षेत्र में नए हैं अतः ऐसे ब्लोगरों के कुतर्कों से वे दिग्भ्रमित भी हो सकते हैं |इन कुतर्कों को माकूल जवाब दिया जाना बहुत ही आवश्यक है , वरना कुतर्की गंदगी तो फैलायेंगे ही" sahmat !

  80. जयराम "विप्लव" कहते हैं:

    >" @वरुण भाई, वन्दे-ईश्वरं… @प्रबुद्ध जी, वन्दे-ईश्वरम… @जयराम जी, वन्दे-ईश्वरम…"मियां दोनों धर्मों को मिलाने कि बात करते हो ……अवतारवाद कि बात करते हो ………..परन्तु अंधविश्वास के कुएं में मेढंक कि भांति छटपटा रहे हो ! वन्दे -इश्वर कि जगह वन्दे मातरम कहो ! मैं तो नास्तिक ठहरा धर्म से कोई लेना- देना ही नहीं इसीलिए आजतक कभी वेद -पुराण नहीं पढ़ा . परन्तु मुझे अफ़सोस नहीं क्योंकि मैंने धर्मग्रन्थ नहीं पढ़े फिर भी मानवता के खिलाफ , समाज के खिलाफ , देश के खिलाफ कुछ nahi kiya , तुम्हे पता है दंगों में , आत्मघाती हमलों में , जितने भी लोग शामिल रहे हैं सभी ne धर्मग्रन्थों ko dhokar pee liya tha परन्तु , किसी को भी उनका अर्थ समझ में नहीं आया ki koi bhi ग्रन्थ आतंकवाद -दंगों कि इजाजत नहीं देता है ! बार-बार दूसरो को वेद-पुराण पढने कि सलाह अपने पास रखो . वैसे तो मैं विधर्मी हूँ . मानवधर्म को मानता हूँ . लेकिन हाँ तुष्टिकरण के खेल में नहीं रहता . सच को सच और झूठ को झूठ कहने में नहीं हिचकता ! निश्चित रूप से सुरेश जी के आगे मेरा व्यक्तित्व बौना है. हम तुम्हारी तरह नहीं जो अपनी बातों को अंतिम सत्य समझते हैं ! लेटेस्ट होने का तर्क तुम्हे ही मुबारक हो . क्योंकि हमारे हिसाब से हर दिन दुनिया में लेटेस्ट का भी लेटेस्ट चीज आता रहता है . varunjee aur suresh jee aapki in bato se "कुतर्कों कि हद की जांच भी बहुत ज़रूरी है |साथ ही ब्लॉग जगत में नित्यप्रति अनेक नए व्यक्तियों का जुड़ाव हो रहा है , उनमें से अनेक तर्क के क्षेत्र में नए हैं अतः ऐसे ब्लोगरों के कुतर्कों से वे दिग्भ्रमित भी हो सकते हैं |इन कुतर्कों को माकूल जवाब दिया जाना बहुत ही आवश्यक है , वरना कुतर्की गंदगी तो फैलायेंगे ही" sahmat !

  81. Dr. Anil Kumar Tyagi कहते हैं:

    >जहाँ अपना फायदा( जैसे हज सब्सीडी) वो इस्लाम सम्मत जिसमें कोइ (आर्थिक) फायदा न हो वो इस्लाम के विरुध| वाह क्या मजहब है।

  82. Dr. Anil Kumar Tyagi कहते हैं:

    >जहाँ अपना फायदा( जैसे हज सब्सीडी) वो इस्लाम सम्मत जिसमें कोइ (आर्थिक) फायदा न हो वो इस्लाम के विरुध| वाह क्या मजहब है।

  83. smart कहते हैं:

    >मुस्लिम प्रसन्नता- मुम्बई आक्रमण ने कुछ स्तरों पर निन्दा, आधिकारिक दुख और अनौपचारिक रूप से उत्साह को प्रेरित किया। जैसा कि इजरायल इंटेलिजेंस हेरिटेज एण्ड कोमेमोरेशन सेंटर ने पाया कि ईरान और सीरिया की सरकारों ने इस घटना का उपयोग , “ संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल और इजरायलवादी आन्दोलन को निशाना बनाने में किया और यह प्रदर्शित किया कि यही लोग भारत में और सामान्य तौर पर विश्व में आतंकवाद के लिये उत्तरदायी हैं”। अल जजीरा की वेबसाइट ऐसी टिप्पणियों से भरी पडी थी, “ मुसलमानों के लिये अल्लाह की शानदार विजय, जिहाद की शानदार विजय” “ मुम्बई में यहूदी केन्द्र में यहूदी रबाई और उसकी पत्नी की मृत्यु ह्रदय को सुख देने वाला समाचार है”इस प्रकार की सर्वोच्चता और संकीर्णता की भावना किसी भी प्रकार से आश्चर्यजनक नहीं है जबकि इस बात के अभिलेखित साक्ष्य हैं कि विश्व भर में मुसलमानों के मध्य आतंकवाद स्वीकार्य है। उदाहरण के लिये पिउ रिसर्च सेंटर फार द पीपुल एंड द प्रेस ने 2006 बसंत में लोगों के व्यवहार के सन्दर्भ में एक सर्वेक्षण किया था कि मुसलमान और पश्चिमी एक दूसरे को किस प्रकार देखते हैं। इस सर्वेक्षण में विश्व के दस मुस्लिम जनसंख्या वाले क्षेत्रों के एक हजार लोगों में ऐसे मुसलमानों का अनुपात अधिक था जो कुछ अवसरों पर आत्मघाती बम विस्फोट को न्यायसंगत ठहराते हैं। जर्मनी में 13 प्रतिशत, पाकिस्तान में 22 प्रतिशत, तुर्की में 26 प्रतिशत और नाइजीरया में 69 प्रतिशत।एक चौंकाने वाली संख्या का प्रतिशत ऐसे लोगों का था जो कुछ मात्रा में ओसामा बिन लादेन में विश्वास व्यक्त कर रहे थे। तुर्की में 8 प्रतिशत, मिस्र में 68 प्रतिशत, पाकिस्तान में 48 प्रतिशत और नाइजीरिया में 72 प्रतिशत। पिउ सर्वेक्षण के निष्कर्ष में 2006 में मैने कहा था कि, “ यह संख्या सिद्ध करती है कि मुसलमानों के मध्य आतंकवाद की जडें काफी गहरी हैं और यह आने वाले वर्षों में भी खतरे के रूप में विद्यमान रहेगा” निश्चय ही निष्कर्ष है नहीं?पश्चिमी नकार- नहीं- इस तथ्य को पश्चिमी राजनीतिक, पत्रकारीय और अकादमिक लोग नजरअन्दाज कर रहे हैं कि आतंकवादी मछलियाँ निकट के मुस्लिम समुद्रों में मेजबान बन कर तैर रही हैं। इसे राजनीतिक रूप से सही होना कहें, बहुलतावादी संस्कृति कहें या स्वयं की अवहेलना कहें जो भी नाम इसे दिया जाये इस मानसिकता से भ्रम और संकल्पशक्ति का अभाव झलकता है।आतंकवाद को नाम देने से बचने की भावना इस नकार का कारण है। जब एक अकेला जिहादी आक्रमण करता है तो राजनेता, कानून प्रवर्तन संस्थायें और मीडिया उन शक्तियों के साथ खडी होती हैं जो आतंकवाद के तथ्यों को भी नकार देती हैं और जब सभी इस आक्रमण के आतंकी स्वरूप को स्वीकार भी कर लेते हैं तो तकनीकी आधार पर इसके लिये आतंकवादियों को दोषी ठहराने से बचा जाता है।इस प्रकार अप्रत्यक्ष ढंग से इस्लामवादियों को पुकारने के विषय को मैने 2004 में बेसलान में इस्लामवादियों द्वारा एक विद्यालय पर आक्रमण के मामले में अभिलेखित किया था और बीस ऐसे विशेषण बताये थे जो प्रयोग किये गये थे- कार्यकर्ता, हमलावर, आक्रमणकारी, बम विस्फोट करने वाले, बन्दी बनाने वाले, कमांडो, अपराधी, अतिवादी, लडाके, गुट, गुरिल्ला, बन्दूकधारी, अपहर्ता, उग्रवादी, अपहरण करने वाले, उग्रवादी, आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले, क्रांतिकारी, विद्रोही और अलगाववादी और कुछ भी लेकिन आतंकवादी नहीं ।(by Daniel Pppes)

  84. smart कहते हैं:

    >मुस्लिम प्रसन्नता- मुम्बई आक्रमण ने कुछ स्तरों पर निन्दा, आधिकारिक दुख और अनौपचारिक रूप से उत्साह को प्रेरित किया। जैसा कि इजरायल इंटेलिजेंस हेरिटेज एण्ड कोमेमोरेशन सेंटर ने पाया कि ईरान और सीरिया की सरकारों ने इस घटना का उपयोग , “ संयुक्त राज्य अमेरिका, इजरायल और इजरायलवादी आन्दोलन को निशाना बनाने में किया और यह प्रदर्शित किया कि यही लोग भारत में और सामान्य तौर पर विश्व में आतंकवाद के लिये उत्तरदायी हैं”। अल जजीरा की वेबसाइट ऐसी टिप्पणियों से भरी पडी थी, “ मुसलमानों के लिये अल्लाह की शानदार विजय, जिहाद की शानदार विजय” “ मुम्बई में यहूदी केन्द्र में यहूदी रबाई और उसकी पत्नी की मृत्यु ह्रदय को सुख देने वाला समाचार है”इस प्रकार की सर्वोच्चता और संकीर्णता की भावना किसी भी प्रकार से आश्चर्यजनक नहीं है जबकि इस बात के अभिलेखित साक्ष्य हैं कि विश्व भर में मुसलमानों के मध्य आतंकवाद स्वीकार्य है। उदाहरण के लिये पिउ रिसर्च सेंटर फार द पीपुल एंड द प्रेस ने 2006 बसंत में लोगों के व्यवहार के सन्दर्भ में एक सर्वेक्षण किया था कि मुसलमान और पश्चिमी एक दूसरे को किस प्रकार देखते हैं। इस सर्वेक्षण में विश्व के दस मुस्लिम जनसंख्या वाले क्षेत्रों के एक हजार लोगों में ऐसे मुसलमानों का अनुपात अधिक था जो कुछ अवसरों पर आत्मघाती बम विस्फोट को न्यायसंगत ठहराते हैं। जर्मनी में 13 प्रतिशत, पाकिस्तान में 22 प्रतिशत, तुर्की में 26 प्रतिशत और नाइजीरया में 69 प्रतिशत।एक चौंकाने वाली संख्या का प्रतिशत ऐसे लोगों का था जो कुछ मात्रा में ओसामा बिन लादेन में विश्वास व्यक्त कर रहे थे। तुर्की में 8 प्रतिशत, मिस्र में 68 प्रतिशत, पाकिस्तान में 48 प्रतिशत और नाइजीरिया में 72 प्रतिशत। पिउ सर्वेक्षण के निष्कर्ष में 2006 में मैने कहा था कि, “ यह संख्या सिद्ध करती है कि मुसलमानों के मध्य आतंकवाद की जडें काफी गहरी हैं और यह आने वाले वर्षों में भी खतरे के रूप में विद्यमान रहेगा” निश्चय ही निष्कर्ष है नहीं?पश्चिमी नकार- नहीं- इस तथ्य को पश्चिमी राजनीतिक, पत्रकारीय और अकादमिक लोग नजरअन्दाज कर रहे हैं कि आतंकवादी मछलियाँ निकट के मुस्लिम समुद्रों में मेजबान बन कर तैर रही हैं। इसे राजनीतिक रूप से सही होना कहें, बहुलतावादी संस्कृति कहें या स्वयं की अवहेलना कहें जो भी नाम इसे दिया जाये इस मानसिकता से भ्रम और संकल्पशक्ति का अभाव झलकता है।आतंकवाद को नाम देने से बचने की भावना इस नकार का कारण है। जब एक अकेला जिहादी आक्रमण करता है तो राजनेता, कानून प्रवर्तन संस्थायें और मीडिया उन शक्तियों के साथ खडी होती हैं जो आतंकवाद के तथ्यों को भी नकार देती हैं और जब सभी इस आक्रमण के आतंकी स्वरूप को स्वीकार भी कर लेते हैं तो तकनीकी आधार पर इसके लिये आतंकवादियों को दोषी ठहराने से बचा जाता है।इस प्रकार अप्रत्यक्ष ढंग से इस्लामवादियों को पुकारने के विषय को मैने 2004 में बेसलान में इस्लामवादियों द्वारा एक विद्यालय पर आक्रमण के मामले में अभिलेखित किया था और बीस ऐसे विशेषण बताये थे जो प्रयोग किये गये थे- कार्यकर्ता, हमलावर, आक्रमणकारी, बम विस्फोट करने वाले, बन्दी बनाने वाले, कमांडो, अपराधी, अतिवादी, लडाके, गुट, गुरिल्ला, बन्दूकधारी, अपहर्ता, उग्रवादी, अपहरण करने वाले, उग्रवादी, आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले, क्रांतिकारी, विद्रोही और अलगाववादी और कुछ भी लेकिन आतंकवादी नहीं ।(by Daniel Pppes)

  85. anirudha kumar gupta कहते हैं:

    >agar pitnaa hi hein toh seedhe seedhe sadhak par ghomo kyonki blog mein sirf gaali milengi jisse tum logo ka pet nahi bharega jab jute sir par padhenge tab sara dharam nikal jaayega hindu ho ya musalmaan.hindu ho ya musalmaan ek saman magar jab dikhega hindustan pitta rahega pakistanjai hind agar desh ke liye mujhe so gali bhi deni pari to mein diye bina nahin rahoonga

  86. Anonymous कहते हैं:

    >dosto kabir na kha Iswere manav ka hi bheeter hota hai. saahi naath na kha sabka malik ek hai jishe hindu poojate hai wo bhi eak hai jishe muslim poojata hai wo bhi ek hai. Isere ek hi manav ke bheeter aatama ka Roop me rahta hai sience jishe energy kahta hai. Conservation Law of energy. energy can not be created and can not be distroyed. but its can be change different size. ye brahmaand parmatama ka virrat Roop hai. because ye energy se change hokar hi banna hai. ye energy ka anshe hi manav ka bheeter aatama ke roop me viraajmaan hai. jiska main purpose parmatama aatharatha energy ke vishaal roop se mil jaana hai and moxha praatap karna hai.

  87. Anonymous कहते हैं:

    >dosto kabir na kha Iswere manav ka hi bheeter hota hai. saahi naath na kha sabka malik ek hai jishe hindu poojate hai wo bhi eak hai jishe muslim poojata hai wo bhi ek hai. Isere ek hi manav ke bheeter aatama ka Roop me rahta hai sience jishe energy kahta hai. Conservation Law of energy. energy can not be created and can not be distroyed. but its can be change different size. ye brahmaand parmatama ka virrat Roop hai. because ye energy se change hokar hi banna hai. ye energy ka anshe hi manav ka bheeter aatama ke roop me viraajmaan hai. jiska main purpose parmatama aatharatha energy ke vishaal roop se mil jaana hai and moxha praatap karna hai.

  88. RAJ SINH कहते हैं:

    >किन दो कौमों को मिलाने की बात कर रहे हैं सलीम जी ? दो कौमों की बात से ही जिन्ना की 'दुर्गन्ध ' आती है.भारत एक कौम है . एक देश ,एक संविधान ,एक झंडा ,एक लोग. दो कौमों की बात सोचना ही देश से गद्दारी है .सोच कर देखिये. स्वच्छ सन्देश की आड़ में तो मुझे एक सिरफिरा धर्मांध गद्दार दिखाई दे रहा है .जिसे या तो पागलखाने में होना चाहिए या तो फांसी के फंदे पर नहीं तो जेल में तो होना ही चाहिए . थू है तुम पर .शर्म करो.

  89. RAJ SINH कहते हैं:

    >किन दो कौमों को मिलाने की बात कर रहे हैं सलीम जी ? दो कौमों की बात से ही जिन्ना की 'दुर्गन्ध ' आती है.भारत एक कौम है . एक देश ,एक संविधान ,एक झंडा ,एक लोग. दो कौमों की बात सोचना ही देश से गद्दारी है .सोच कर देखिये. स्वच्छ सन्देश की आड़ में तो मुझे एक सिरफिरा धर्मांध गद्दार दिखाई दे रहा है .जिसे या तो पागलखाने में होना चाहिए या तो फांसी के फंदे पर नहीं तो जेल में तो होना ही चाहिए . थू है तुम पर .शर्म करो.

  90. उम्दा सोच कहते हैं:

    >एक चोर जब एक पुलिस वाले को देखता है तो उसे भय होता है. पुलिस* वाला चोर# की नज़र में आतंकवादी है.जैसा आतंकवादी आप होने को कह रहे है वैसा तो शायद .०१% मुसलमान होंगे (पुलिस मुसलमान*) अभी तो आतंकवादी मुसलमान चोर# वाले ज्यादा है ! कुरआन की मदद से अव्वल उन्हें सही रास्ता दिखाओ,अगर कारगर नहीं होता तो….रद्दी पयेप्व्र्र बेच डालो कबाड़ बेच डालो सीसी बोतल बेच डालो !!!

  91. उम्दा सोच कहते हैं:

    >एक चोर जब एक पुलिस वाले को देखता है तो उसे भय होता है. पुलिस* वाला चोर# की नज़र में आतंकवादी है.जैसा आतंकवादी आप होने को कह रहे है वैसा तो शायद .०१% मुसलमान होंगे (पुलिस मुसलमान*) अभी तो आतंकवादी मुसलमान चोर# वाले ज्यादा है ! कुरआन की मदद से अव्वल उन्हें सही रास्ता दिखाओ,अगर कारगर नहीं होता तो….रद्दी पयेप्व्र्र बेच डालो कबाड़ बेच डालो सीसी बोतल बेच डालो !!!

  92. Shakti Shukla कहते हैं:

    >नई तरह की फ़िलासफी के जरिये सनसनी पैदा करके आप खुद तो पीढ थपथपा सकते है, बौद्धिक क्षमता का लोहा भी मनवा सकते है, पर बेचार पाढ्क जो शायद अभी बच्चा हो मुश्किल से गूढ अर्थ को समझ पाये, तो जब आवाम से मुखातिब हो तो शीर्षक जरा सभाल कर चुने कोरी सनसनी ना फैलाये

  93. Shakti Shukla कहते हैं:

    >नई तरह की फ़िलासफी के जरिये सनसनी पैदा करके आप खुद तो पीढ थपथपा सकते है, बौद्धिक क्षमता का लोहा भी मनवा सकते है, पर बेचार पाढ्क जो शायद अभी बच्चा हो मुश्किल से गूढ अर्थ को समझ पाये, तो जब आवाम से मुखातिब हो तो शीर्षक जरा सभाल कर चुने कोरी सनसनी ना फैलाये

  94. harish singh कहते हैं:

    >aapki soch achchhi hai aapke lekh achchhe hote hai. lekin kattarwadita kam kijiye.

  95. harish singh कहते हैं:

    >aapki soch achchhi hai aapke lekh achchhe hote hai. lekin kattarwadita kam kijiye.

  96. SINTU कहते हैं:

    >KHAN SAAB APNE JIS TARAH SE HINDU SHABD KI VYAKHYA KI HAI USSE MAI PURI TARAH SAHMAT HU OR MUJHE GARVE HUA AAP PARLEKIN JAB K DWARA ATANKVADI KI VYAKHA KI VAH BEHAD NIRASHAJANAK HAI.ARE AAP ITNA ACHHA SOCHTE HAI OR AAP HI ATANKVADI SHABD KO TODMARODKAR KYA BAYAN KARNA CHAHTE HAI.

  97. SINTU कहते हैं:

    >KHAN SAAB APNE JIS TARAH SE HINDU SHABD KI VYAKHYA KI HAI USSE MAI PURI TARAH SAHMAT HU OR MUJHE GARVE HUA AAP PARLEKIN JAB K DWARA ATANKVADI KI VYAKHA KI VAH BEHAD NIRASHAJANAK HAI.ARE AAP ITNA ACHHA SOCHTE HAI OR AAP HI ATANKVADI SHABD KO TODMARODKAR KYA BAYAN KARNA CHAHTE HAI.

  98. Anonymous कहते हैं:

    >WassupI wanted to share with you a AMAZING site I just came across teaching [url=http://www.kravmagabootcamp.com][b]Krav Maga[/b][/url] Online If you guys have seen the Tv Show called Fight Quest you would have seen their chief instructor Ran Nakash there featured on their [url=http://www.kravmagabootcamp.com][b]Krav Maga[/b][/url] segment. Anyways, let me know what you think. Is training via the internet something you would do?BestSteve

  99. Anonymous कहते हैं:

    >All about shop-script[IMG]http://s43.radikal.ru/i102/0901/37/7366b19ed2b2.png[/IMG]http://shop-scripts.ruCan it: modules, templates, sql DB and othes…FREE all products :)[URL=http://www.shop-scripts.ru]shop-scripts.ru[/URL]Варез и нулл движка размещен не будет.:-]В сети и так полноЧто касаемо модулей и прочего, берется материал из открытых источников. Если интересный материал имеет какие-нибудь непосредственное авторство или права, то только с согласия автора!!!Тематика форума: Обсуждение работы интернет магазинов на движке shop-script, обмен опытом, тестирование новых или уже известных модулей, участие в разработке новых решений и/или дополнений для shop-script, использующихся в интернет-продажах.[URL=http://www.shop-scripts.ru]shop-scripts.ru[/URL]http://www.shop-scripts.ru

  100. Anonymous कहते हैं:

    >Hello AllAfter lurking around swachchhsandesh.blogspot.com for I while and enjoying the site from the background I have decide to join up!..There seems to be some really good member in here and I like much very..Please forgave me if I get on your nerves by my speaking but English is not me first Language[url=http://smartthoughtson.info/].[/url][url=http://tesmartthoughts.info/].[/url][url=http://wamotivationalquotes.info/forum].[/url]

  101. Anonymous कहते हैं:

    >whats up everyone just found your site and wanted to ask for some advice on marketing hopefully this is just what im looking for, looks like i have a lot to read Im trying to find a way to build an e-mail list.

  102. Anonymous कहते हैं:

    >hey Just saying hello while I look through the posts I'm trying to find out how to make an e-mail list with out having to spend a wad of cash on some training coursehopefully this is just what im looking for, looks like i have a lot to read Im trying to find a way to build an e-mail list.

  103. Anonymous कहते हैं:

    >Good afternoon, does anyone here know of a awsome dentist? My teeth really hurts right now, so I read a interresting website about a [url=http://mississauga-dental.com]mississauga emergency dental service[/url]! The site was very much informative, but I want help about my tooth. Can anyone nicely lend a hand?Thanks-Melody

  104. Anonymous कहते हैं:

    >Hi, does anyone know a great dentist? My tooth really are in pain right now, so I read a awsome site about a [url=http://oakvilledentistry.com]oakville cosmetic dentist[/url]..? The website was well educational, but I want advice about my tooth. Can anyone please lend a hand?Thanks-Melody

  105. Anonymous कहते हैं:

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